Friday 9 October 2015

कब्र पूजा – मुर्खता अथवा अंधविश्वास?


कुछ सामान्य से १० प्रश्न हम पाठको से पूछना चाहेंगे.

१.क्या एक कब्र जिसमे मुर्दे की लाश मिट्टी में बदल चूँकि हैं वो किसी की मनोकामना
पूरी कर सकती हैं?

२. सभी कब्र उन मुसलमानों की हैं जो हमारे पूर्वजो से लड़ते हुए मारे गए थे, उनकी कब्रों पर जाकर मन्नत मांगना क्या उन वीर पूर्वजो का अपमान नहीं हैं जिन्होंने अपने प्राण धर्म रक्षा करते की बलि वेदी पर समर्पित कर दियें थे?

३. क्या हिन्दुओ के राम, कृष्ण अथवा ३३ करोड़ देवी देवता शक्तिहीन हो चुकें हैं जो मुसलमानों की कब्रों पर सर पटकने के लिए जाना आवश्यक हैं?

४. जब गीता में  श्री कृष्ण ने कहाँ हैं की कर्म करने से ही सफलता
प्राप्त होती हैं तो मजारों में दुआ मांगने से क्या हासिल होगा?

५. भला किसी मुस्लिम देश में वीर शिवाजी, महाराणा प्रताप, हरी सिंह नलवा आदि वीरो की स्मृति में कोई स्मारक आदि बनाकर उन्हें पूजा जाता हैं तो भला हमारे ही देश पर आक्रमण करने वालो की कब्र पर हम क्यों शीश झुकाते हैं?

६. क्या संसार में इससे बड़ी मुर्खता का प्रमाण आपको मिल सकता हैं?

७. हिन्दू जाती कौन सी ऐसी अध्यात्मिक प्रगति मुसलमानों की कब्रों की पूजा
कर प्राप्त कर रहीं हैं जो वेदों- उपनिषदों में कहीं नहीं गयीं हैं?

८. कब्र पूजा को हिन्दू मुस्लिम एकता की मिसाल और सेकुलरता की निशानी बताना हिन्दुओ को अँधेरे में रखना नहीं तो क्या हैं ?

९. इतिहास की पुस्तकों कें गौरी – गजनी का नाम तो आता हैं जिन्होंने हिन्दुओ को हरा दिया था पर मुसलमानों को हराने वाले राजा सोहेल देव पासी का नाम तक न मिलना क्या हिन्दुओं की सदा पराजय हुई थी ऐसी मानसिकता को बनाना नहीं हैं?

१०. क्या हिन्दू फिर एक बार २४ हिन्दू राजाओ की भांति मिल कर संगठित होकर देश पर आये संकट जैसे की आंतकवाद, जबरन धर्म परिवर्तन,नक्सलवाद,बंगलादेशी मुसलमानों की घुसपेठ आदि का मुंहतोड़ जवाब नहीं दे सकते?

आशा हैं इस लेख को पढ़ कर आपकी बुद्धि में कुछ प्रकाश हुआ होगा .
अगर आप आर्य राजा राम और कृष्ण जी महाराज की संतान हैं तो तत्काल इस मुर्खता पूर्ण
अंधविश्वास को छोड़ दे और अन्य हिन्दुओ को भी इस बारे में प्रकाशित करें.

Admin- Manish Kumar (ARYA)

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