Wednesday 21 October 2015

कुरआन की समीक्षा पार्ट-1


 


अल-फ़ातिहा (Al-Fatihah) CH-1 : आयत 2 -
प्रशंसा अल्लाह ही के लिए हैं जो सारे संसार का रब हैं ।

समीक्षा  १ -
Note- कुरआन में बहुत सारे "characters" है । जिनमे सिर्फ अल्लाह ही के लिए प्रशंसा है ,अगर हम इसका अरबी तजुर्नमा करे , चूँकि क़ुरआन ही सर्वोत्तम ग्रन्थ है इस्लाम का , तो पता चलता है सिर्फ अल्लाह ही है जो प्रशंसा के योग्य है ।अर्थात वही तारीफ़ के काबिल है ।

///// अब देखिये ज़ाकिर नाइक जी का कथन -
इसी तरह की भविष्यवाणी ऋग्वेद (१/५३/९) में मिलती है. संस्कृत लफ्ज़ जो यहाँ आया है वो है “सुश्रमा” जिसका मतलब है “तारीफ़ किये जाने के काबिल” जिसका अरबी तर्जुमा मुहम्मद ही है। /////

यहाँ देखिये क्या कह दिए ज़ाकिर नाइक ने ? अरबी तजुर्नमा करके प्रशंसा या तारीफ़ के काबिल मोहम्मद को बता दिया ? और क़ुरआन की सुरा फतिहा आयत 2 को गलत साबित कर दिया । जबकि तारीफ के काबिल तो
अल्लाह हुआ क़ुरआन में साफ़ साफ़ लिखा हुआ है।

चलिए इनका इस बात पर और ध्यान दिया जाय ~
1. मन्त्र में कहीं भी “सुश्रमा” नहीं आया ।
2. एक लफ्ज़ “सुश्रवसा” जरूर है जिसका मतलब है “सुनने वाला” और “दोस्त”, जिसका इस मन्त्र में मुहम्मद से कोई ताल्लुक ही नहीं ।

अल-बक़रा (Al-Baqarah) CH-2 :आयत 3 -
जो अनदेखे ईमान लाते हैं, नमाज़ क़ायम करते हैं और जो कुछ हमने उन्हें दिया हैं उसमें से कुछ खर्च करते हैं। 

समीक्षा २-
क़ुरआन आज से लगभग 1400 पेहले आई। उससे पहले न जाने कितने धर्म आ चुके थे ।क़ुरआन में ऐसा क्या है , जो आँख बंद करके इसमें कोई ईमान लाये | क्या क़ुरआन में कोई भी वैज्ञानिक गलतियाँ नहीं है ? चलो एक दो विज्ञान घूमा फिरा के हम निकाल भी दिए | फिर भी क़ुरआन पर ही ईमान क्यों लाये । अब एक दो आयत विज्ञान के अनुकूल है,और फिर बाकी के आयत जो विज्ञान का मज़ाक उराता हुआ मिले अर्थात हास्यपद विज्ञान दिखे ,फिर क़ुरआन में विज्ञान का होना या न होना क्या साबित करता है ??

और क्या ये आदेश अल्लाह खुद सभी के बीच आके दिया था ? यह तो सिर्फ मोहम्मद ने क़ुरआन में लिखवा दिया । अब काफ़िर इस बात को किस आधार पर माने ? क्या अल्लाह ने सभी काफिरो के समक्ष आके ये बात बोला या जिब्राइल ही सभी काफिरो के समक्ष आके सबको चेताया या फरिस्ते ?

किसी ने भी कुछ भी नहीं देखा । फिर अगर कोई ईमान न लाये तो इसका दोषी तो खुद अल्लाह हुआ । उसने कोई सबूत ही नहीं दिया की वो और उसका क़ुरआन सच्चा है ।तो काफिरो को यातनाऐं देने की बात तो नाइंसाफी हुई ।

खुद ही देखिये अल्लाह अब क्या कह रहा है ?
अल-बक़रा (Al-Baqarah) :6 -
जिन लोगों ने कुफ़्र (इनकार) किया उनके लिए बराबर हैं, चाहे तुमने उन्हें सचेत किया हो या सचेत न किया हो, वे ईमान नहीं लाएँगे ।

Note-
अल्लाह ने अपना गृहकार्य (Homework)पूरा ठीक से नहीं किया । और अपना गलती दुसरो पर दाल दिया ।


अल-बक़रा (Al-Baqarah) CH-2:आयत 7 -
अल्लाह ने उनके दिलों पर और कानों पर मुहर लगा दी है और उनकी आँखों पर परदा पड़ा है, और उनके लिए बड़ी यातना है ।

समीक्षा ३ -
न ही मेरे दिल पे कोई मोहर का निशान मिला है और न ही मेरे कानो में कोई मोहर का निशान है ।चलो मान भी ले मोहर लगा हुआ है , अगर भविष्य में वो ईमान ले आये तो वो मोहर को मिटाने कौन आएगा। अल्लाह या जिब्राइल ? क्या ऐशी सब बकवास आपको वेदों में मिलेगी ?
हॉस्पिटल में भी न जाने कितने हार्ट की बिमारी वाले काफ़िर स्कैन करवाते है ? क्या किसी डॉ ने ये बताया की आपकी दिल में मोहर लगा हुआ है ?


अल-बक़रा (Al-Baqarah) CH-2 : आयत 22 -
वही है जिसने तुम्हारे लिए ज़मीन को फर्श और आकाश को छत बनाया, और आकाश से पानी उतारा, फिर उसके द्वारा हर प्रकार की पैदावार की और फल तुम्हारी रोजी के लिए पैदा किए, अतः जब तुम जानते हो तो अल्लाह के समकक्ष न ठहराओ |

समीक्षा ४ -
अल्लाह ने जमीन को फर्श और आकाश को छत बनाया ।अब गौर करे जमीन को फर्श ? क्या पृथ्वी चपटी है , फर्श कैसा होता है ? देखे शब्दकोष में
shabdkosh.raftaar.in/Meaning-of-फर्श-in-Hindi
[["समतल जमीन"]] यहाँ अल्लाह साफ़ साफ़ कह रहे है की पृथ्वी समतल ,सपाट, चपटी है । जो की आज की वैज्ञानिक और वैदिक विज्ञान वेद के  द्रिष्टि से गलत साबित हुआ है ।

इसी में दुसरा पॉइंट देखते है ।
अल्लाह ने आकाश को छत बनाया ।अब हम तो छत पर चल सकते है । और छत हमें बाहरी किरणों और धुल-गन्दगी से "protect" भी करता है । अब जाने आकाश क्या है ?
shabdkosh.raftaar.in/Meaning-of-आकाश-in-Hindi
Meaning of आकाश (Aakash) :
(१)शब्द, गुण से युक्त वह शून्य अनंत अवकाश जिसमें विश्व के सभी पदार्थ (सूर्य चंद्र, ग्रह, उपग्रह आदि) स्थित है और जो सब पदार्थों में व्याप्त है।
(२)खुले स्थान में ऊपर की ओर दिखाई देनेवाला नीला अपार स्थान।


तो क्या आकाश को छत बताना किसी भी लोजिक तक से सही नहीं ठहर रही । इससे यही पता चलता है की अल्लाह को न धरती का ज्ञान है और न ही आकाश का ।



अल-बक़रा (Al-Baqarah) CH-2: आयत 24 -
फिर अगर तुम ऐसा न कर सको और तुम कदापि नहीं कर सकते, तो डरो उस आग से जिसका ईधन इनसान और पत्थर हैं, जो इनकार करनेवालों के लिए तैयार की गई है ।

समीक्षा ५  -
इंसान तक तो ठीक है , पर पत्थर को ईंधन बताना मूर्खता है ।


अल-बक़रा (Al-Baqarah) CH-2: आयत 25 -
जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए उन्हें शुभ सूचना दे दो कि उनके लिए ऐसे बाग़ है जिनके नीचे नहरें बह रहीं होगी; जब भी उनमें से कोई फल उन्हें रोजी के रूप में मिलेगा, तो कहेंगे, "यह तो वही हैं जो पहले हमें मिला था," और उन्हें मिलता-जुलता ही (फल) मिलेगा; उनके लिए वहाँ पाक-साफ़ पत्नि याँ होगी, और वे वहाँ सदैव रहेंगे

समीक्षा ६ -
जो जन्नत में जाएंगे वे वहा सदैव रहेंगे । और कुरआन के तहत जहन्नुम वाला वहा भी सदैव रहेगा । अब सवाल उठता है । जहन्नुम के आग का ईंधन तो इंसान और पत्थर है । पत्थर तो ईंधन नहीं हो सकता पर इंसान हो सकता
है । अब जहन्नुम का ईंधन जो है वो ख़त्म तो हो ही जाएगा  कभी न कभी , फिर जहन्नुम के आग का ईंधन कहा से आएगा ? क्या जन्नती वाले को बुलाया जाएगा ।
अब ये मत कहना की वो खाल चढ़ाएगा ,फिर यातनाए देगा  ?? तो हर मिनट अल्लाह खाल ही चढ़ाते रह जाएगा ??? …फिर अल्लाह जब direct खाल चढ़ा सकता है ?? फिर मोमिन की अम्मी के गर्भ में 9 month कलमा पढ़वाने रखता है ????
और जो भी जहन्नम में काम कर रहे हुए होंगे "अल्लाह के बन्दे" उसने ऐसा क्या जुर्म किया जो वो लोग को जन्नत से वंचित रख जहन्नुम की गर्मी में काम दे दिया । क्या वहा पे काम करने वालो के साथ नाइंसाफी नहीं है ।


अल-बक़रा (Al-Baqarah)CH-2: आयत 28 -
तुम अल्लाह के साथ अविश्वास की नीति कैसे अपनाते हो, जबकि तुम निर्जीव थे तो उसने तुम्हें जीवित किया, फिर वही तुम्हें मौत देता हैं, फिर वही तुम्हें जीवित करेगा, फिर उसी की ओर तुम्हें लौटना हैं?

समीक्षा ७ -
इंसान पहले निर्जीव रहता है ? फिर अल्लाह जीवित करता है ?

आज के विज्ञान के तहत :-

हमारा जन्म होता है । हम पेहले कही भी निर्जीव नहीं पड़े रहते ? हम तो होते ही नहीं । "male" और "female" के वीर्य के मिलने से गर्भ में धीरे धीरे हमारा शरीर निर्माण होता है ।फिर धिरे-धीरे उसमे हड्डियां सब का निर्माण होता है ।

वैदिक विज्ञान के तहत -
माँ -पिता के वीर्य के मिलने से माँ के गर्भ में जन्म होता है और ठीक उसी समय आत्मा का प्रवेश होता है ।
(मैथुनी सृष्टि में इंसान के जन्म का यही नियम है)

तो ये अल्लाह का ज्ञान अधूरा है । और कुछ भी बोल रहा है ।


अल-बक़रा (Al-Baqarah) CH-2:आयत 29 -
वही तो है जिसने तुम्हारे लिए ज़मीन की सारी चीज़े पैदा की, फिर आकाश की ओर रुख़ किया और ठीक तौर पर सात आकाश बनाए और वह हर चीज़ को जानता है ।


समीक्षा ८ :-
अल्लाह साफ़ साफ़ बता रहा है की उसने पृथ्वी पहले बनाई फिर उसमे हमारे खाने -पिने की सारी चीज़े उगाई । तब जाके वो 7 आसमान बनाया। यह बहुत ही हास्यपद और झूठ है ।क़ुरआन में अल्लाह ने छः दिन/काल में पूरे
अंतरिक्ष बना दिया । जिसमे पहले दो दिन पृथ्वी में लगाया दुसरा दो दिन इसमें पहाड़ , वृक्ष ,नदी etc
में लगाया । (देखे क़ुरआन ४१:९,१०,११,१२)  कुल मिला के पृथ्वी को चार कालो में तैयार किया । तब जाके अगले मात्र दो दिन में  7 आकाश अर्थात सम्पूर्ण अंतरिक्ष बना दिया ।

पहली बात विज्ञान कहता है की अंतरिक्ष का उम्र , पृथ्वी के उम्र से लगभग तीन गुना ज्यादा है ।
Note-
Age of universe is 13.7 billion years &
Age of earth is 4.5 billion year ...


तो यह दावा करना की पेहले पृथ्वी बनाई तब जाके "universe" बनाया ? ये तो हास्यपद बात है ।चलिए अब इनके बनाने का काल का भी अनुपात (RATIO) ले ले -
A/q science -
13.7/4.5= 3.04444

A/q Qur'an
6/4 = 1.5

यहाँ हमने 4 से इसीलिए Divide किया क्योकि इस आयत में अल्लाह साफ़ साफ़ संकेत दे रहे है ,की पृथ्वी को बन्ने के बाद उसमे फसल सब उगाने के बाद ही जाके 7 आसमान के तरफ मुरा ।
(ये भी देखे क़ुरआन  41:9 ,10 ,11 ,12)
अल्लाह ने पहला 4 काल सिर्फ पृथ्वी पर ही लगाया। उसके बाद ही बाकी के 2 काल में सात आसमान की
तरफ मूरा । तो यहाँ हम 6/4 ही divide कर सकते है । जैसा की अल्लाह साफ़ साफ़ क़ुरआन में संकेत कर
रहा । और यह अनुपात बिलकुल आधी आ रही है । असली अनुपात के । जिससे यही पता चलता है की अल्लाह यहाँ भी झूठा है ।
पहला झूठ उसने ये बोला की Earth पहले बना है । बल्कि पहले तो universe बना है ।
दुसरा झूठ की अल्लाह के छः काल में पूरे अंतरिक्ष बनाना पृथ्वी के साथ ।


अल-बक़रा (Al-Baqarah)CH-2: आयत 34 -
और याद करो जब हमने फ़रिश्तों से कहा कि "आदम को सजदा करो" तो, उन्होंने सजदा किया सिवाय इबलील के; उसने इनकार कर दिया और लगा बड़ा बनने और काफ़िर हो रहा ।

समीक्षा ९ -
सजदा का अर्थ है माथा टेकना या सर झुकना किसी के समक्ष । देखे शब्दकोष -
shabdkosh.raftaar.in/Meaning-of-सजदा-in-Hindi

फिर मुसलमान ज़ाकिर नाइक, अकरुद्दीन ओवेसी etc सब ऐसा क्यों बोलते है की ये सर सिर्फ अल्लाह के सामने झुकता है । यहाँ क़ुरआन में अल्लाह आदम का सजदा करवा रहा है । तो ये बात गर्व और जोड़ो से कहना की सजदा सिर्फ अल्लाह का ?? ये तो क़ुरआन के अनुकूल नहीं और फ़ालतू की बकवास हुई ।


अल-बक़रा (Al-Baqarah)CH-2: आयत 35 - 
और हमने कहा, "ऐ आदम! तुम और तुम्हारी पत्नी जन्नत में रहो और वहाँ जी भर बेरोक-टोक जहाँ से तुम दोनों का जी चाहे खाओ, लेकिन इस वृक्ष के पास न जाना, अन्यथा तुम ज़ालिम ठहरोगे।"
समीक्षा १० -
आदम और हव्वा का जन्म जन्नत यानी दूसरे ग्रह में हुआ (ऐसा मैंने इसीलिए कहा क्योकि क़ुरआन में अल्लाह ने बताया है की जन्नत बिलकुल पृथ्वी के जैसा ही है) अब जिसका जन्म दूसरे जगह हुआ वो तो परग्रही कहलायेगा (Alien) । अब आप ही सोचिये हम लोग के बिच Alien के वंशज रह रहे है ।
 


अल-बक़रा (Al-Baqarah)CH-2:आयत 36 -
अन्ततः शैतान ने उन्हें वहाँ से फिसला दिया, फिर उन दोनों को वहाँ से निकलवाकर छोड़ा, जहाँ वे थे। हमने कहा कि "उतरो, तुम एक-दूसरे के शत्रु होगे और तुम्हें एक समय तक धरती में ठहरना और बिसलना है।"

समीक्षा ११  -
अब यहाँ देखिये अल्लाह इन आयत में क्या कह रहा है ।
/////////
अल-बक़रा (Al-Baqarah):33 - उसने कहा, "ऐ आदम! उन्हें उन लोगों के नाम बताओ।" फिर जब उसने उन्हें उनके नाम बता दिए तो (अल्लाह ने) कहा, "क्या मैंने तुमसे कहा न था कि मैं आकाशों और धरती की छिपी बातों को जानता हूँ और मैं जानता हूँ जो कुछ तुम ज़ाहिर करते हो और जो कुछ छिपाते हो।"
////////

जब अल्लाह को सब कुछ पता है । तो अल्लाह को ये पता नहीं चला की शैतान फिर भी आदम को फिसला
देगा ? फिर अल्लाह को गुस्सा होके आदम को धरती पे भेजने का क्या तात्पर्य रह गया । इसमें आदम की
क्या गलती ? अल्लाह को तो शैतान को ही रोक देना चाहिए ठीक उसी समय आके ।क्योकि अल्लाह को तो सब पता है ।जैसा की ऊपर की आयत दर्शा रही है ।

अब दूसरी बात गौर करे -
गलती आदम से हुई तब जाके वो पृथ्वी पर भेजा गया। तब जाके ईमान वाले और काफ़िर पैदा लिए ।
उसमे भी अनिल अम्बानी , मुकेश अम्बानी ,नरेंद्र मोदी जी etc न जाने कितने काफ़िर स्वर्गतुल्य जिंदगी जी
रहे है । यहाँ घाटे में कौंन है ? खुद अल्लाह ही फिलहाल घाटे में है ।

तीसरा पॉइंट ये उठता है की -
जब अल्लाह को ये बात पता ही नहीं था की आदम को शैतान फिसला देगा और उसको धरती पर भेजना
होगा ? तब अल्लाह ने अपने छः काल के 4 काल में धरती (पृथ्वी) को क्यों बनाया ??? और किसके लिए पहाड़,वृक्ष,फल उगाये ??? और ये भी दावा कर रहे है की ये सब ईमान वाले के लिए किया था ?
ईमान वाले के लिए तो तब ये सब होता जब अल्लाह ख़ुशी ख़ुशी आदम को पृथ्वी पर भेजता । पर यहाँ तो हाथ शैतान का है ।


अल-बक़रा (Al-Baqarah)CH-2: आयत 41 -
और ईमान लाओ उस चीज़ पर जो मैंने उतारी है, जो उसकी पुष्टि में है, जो तुम्हारे पास है, और सबसे पहले तुम ही उसके इनकार करनेवाले न बनो। और मेरी आयतों को थोड़ा मूल्य प्राप्त करने का साधन न बनाओ, मुझसे ही तुम डरो ।

समीक्षा १२ -
अल्लाह यहाँ साफ़ साफ़ आदेश दे रहा है की अल्लाह के किताब को थोड़ा मूल्य प्राप्त करने का साधन न
बनाओ । अर्थात :- पूरे "world" में क़ुरआन मुफ़्त में मिलनी चाहिए। न की पैसो से ?? आज मुसलमान क़ुरआन को पैसे देके खरीद रहे है ।और बेंच के पैसे भी कमा रहे है ।अल्लाह के खिलाफ जाने पर इन सबको जहन्नुम के
आग ने यातनाए भी मिल सकती है । ये वेबसाइट देखे , न जाने कितने है ।
www.dar-us-salam.com ???

अल-बक़रा (Al-Baqarah) CH-2 : आयत 65 -
और तुम उन लोगों के विषय में तो जानते ही हो जिन्होंने तुममें से 'सब्त' के दिन के मामले में मर्यादा का उल्लंघन किया था, तो हमने उनसे कह दिया, "बन्दर हो जाओ, धिक्कारे और फिटकारे हुए!"

समीक्षा १३  -
अल्लाह ने इंसानो को बन्दर बना दिया । ठीक वैसे ही जैसे Movie "The Hulk" में इंसान अपना रूप बदल कर दानव बन जाता है । ये सभी चनत्कार बच्चों की Fairy-Tale की पुस्तक में होती है ।विज्ञान इस कथन को सीधा -सीधा नकारता है । यह मानने योग्य नहीं ।


अल फातिहा ( ch-1) आयत 1 से लेकर अल बकरा (ch-2) आयत 65 तक की समीक्षा हुई ।
आगे की समीक्षा के लिए पार्ट -२ का इंतज़ार करे । पूरी ६६६६ आयत की ऐसे ही समीक्षा की जायेगी । कुल मिलकर 72 आयत की ही समीक्षा हुई है ।



ADMIN - Manish Kumar (आर्य )

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