Sunday 1 November 2015

भारत का छुपा इतिहास,भारत ने विश्व को क्या दिया ? PART-2



मैं भारत का योगदान बिलकुल सृष्टि निर्माण के बाद से बता रहा हूँ , और धीरे धीरे हर असली इतिहास
खोलूंगा ,जो हमसे छिपाया गया । भारत ही पूरे विश्व का हाथ है ,भारत ही पैर है ,भारत ही मुँह है ।
अर्थात भारत ने ही विश्व को बोलना ,लिखना ,पढ़ना सिखाया । । और ये इतिहासकार कहता है की भारत
अनपढ़ देश रहा है हज़ारो  सालो से !!??!!


मैं शुरुवात करता हूँ की भारत ने दुनिया को सबसे पहले क्या दिया-

सबसे पहली जो बात है हम दुनिया के सामने कह सकते है बड़े गर्व से ,गौरव से और सारी दुनिया ने उसको स्वीकार करना भी शुरू कर दिया है । पिछले कई वर्षो से , खासकर जब COMPUTER
आया ,तब से दुनिया 
ने कुछ वास्तविकताओं को स्वीकार कर लिया , उनमे से एक वास्तविकता को दुनिया ने स्वीकार किया है वो ये की सबसे पहली भाषा और सबसे पहली लिपि दुनिया को दी है तो
वो भारत ने दी ।। 


लिपि आप समझते है , जिसमे भाषा लिखी जाती है (अर्थात भाषा लिखने का तरीका /डिज़ाइन ) और भाषा  तो आप जानते ही है ।तो दुनिया की सबसे पहली भाषा और सबसे पहली लिपि जिसको हम लिख के व्यक्त कर सकते है ,वो भारत ने ही दुनिया को दी है ।

भाषा जो हमारी सबसे पहले दुनिया में गयी है तो वो संस्कृत हैं , और लिपि जो हमारी दुनिए में सबसे पहली गयी है वो "देवनागरी" है ।


लेकिन भारत में कई ऐसे इतिहासकार हुए है- जिनका ये कहना है की देवनागरी लिपि से भी पहले 
लिपि हमने दुनिया को दी है जो आज लुप्त हो गयी है , हमारी लापरवाही के कारण और वो लिपि है
ब्राह्मी लिपि ।


और एक बात दुनियाँ के सभी वैज्ञानिको ने ये बताया की ब्राह्मी लिपि उतना ही पुराना है जितना की पुराना भारत देश है और भारत देश लगभग १ अरब ९६ करोड़ वर्ष मतलब  माने तो  २ अरब साल पुराना हमारा ब्रह्माण्ड है ,प्रकृति है ।

[[वेद का समय भी यही है]] जिसका प्रमाण स्वयं वेद और संस्कृत भाषा ही है ॥
वेद पर कुछ अब प्रश्न जरूर उठेगी ,जिसके समाधान के लिए मैं ये लिंक दाल रहा हूँ --



भाषा वो है जो बोली जाती है,हम सुनते है और लिपि वो होती है जिसे हम लिख और पढ़ सकते है । 

जरा सोचिये की जब लिपि इतनी साल पुराना हो सकता है तो फिर भाषा तो उससे पढ़ले ही आई होगी । यही प्रमाण है "वेद का आदि सृष्टि में आने का" 


अब समस्या उत्पन्न ये हो गयी है की इतनी पुरानी ब्राह्मी लिपि को पढ़ने वाले ,समझने वाले वैज्ञानिको की संख्या अभी नहीं है , बहुत बहुत थोड़े वैज्ञानिक जो रहे है ,जो लिपि वैज्ञानिक माने जाते है , जो वो भाषा को पढ़ के उसका अर्थ समझा सकते है , तो ब्राह्मी लिपि हमारी सबसे पुरानी लिपि है जो दुनिया के देशो को हमने दी और दुनिया के लिपि वैज्ञानिक ये मानते है की लिखना हमें सिखाया है किसी देश ने तो वो भारत देश ही सिखाया है । 

क्योकि भारत से पहले लिखने की कला किसी देश को नहीं आती , भारत ने लिखना सिखाया क्योकि लिपि का अविष्कार सबसे पहले भारत में हुआ , जब आपके पास लिपि होती है , तब आप लिख सकते है ,सुन्ना बोलना तो आसान होता है लेकिन लिखना कठिन मना जाता है । 
वो लिपि के प्रभाव  होता है तो सबसे पहली लिपि हमारे यहाँ आई , तो लिखना हमने ही सिखाया दुनिया को । और वो लिखना हमारे यहाँ से चीन में गया ,चीन ने हमसे लिखना सीखा , चीन के जो लिपि वैज्ञानिक हुए है ,जो अध्ययन कर रहे है , वो ईमानदारी से इस बात को स्वीकार करते है की चीन के वैज्ञानिक ,चीन के ऋषि मुनि भारत आये ,उन्होंने लिपियों का अध्ययन किया ,अध्ययन करके चीन में वापस गए , और वह जाके उन्होंने अपनी लिपियों का आविष्कार किया। … 
तो लिखना भारत ने सिखाया पूरी दुनिया को और अगर भाषा आपने दी है पूरी दुनिया को तो दूसरी बात भी कही जा सकती है की बोलना भी हमही  ने ही सिखाया पूरी दुनिया को ।

लिपि से लिखना आता है और भाषा से बोलना आता है ।
भाषा हमारी सबसे पुरानी " देववाणी संस्कृत " जो पूरे दुनिया को हमने दी है । 


दुनिया की जो विशिष्ठ भाषा मानी जाती है अंग्रेजी को छोड़ के जैसे जर्मन है ,फ्रेंच है ,जैसे डच है ,जैसे इतालियन है ,जैसे पोर्चुगीज़ है ,जैसे स्पेनिश है ,जैसे रशियन है ,जैसे डैनिश है। …… दुनिया में विशिष्ठ भाषाओ में इन्हे मानी जाती है । अंग्रेजी को छोड़ के , अंग्रेजी विशिष्ठ भाषा में नहीं मानी जाती , अंग्रेजी सामान्य भाषाओ में मानी जाती है । क्योकि अंग्रेजी दूसरे भाषाओ की नक़ल है । अंग्रेजी के अलावा जितने भी भाषाए मानी जाती है वो मूल भाषाए मानी जाती है ।


तो जो मूल भाषाए मानी जाती है पूरी दुनिया में जर्मन हो ,इटालियन हो ,रशियन हो ,फिर स्पेनिश हो ,पोर्चुगीस हो ,डच हो ,फ्रेंच हो etc … ये सभी मूल भाषाओ के वैज्ञानिक रहते वो कहते है की हमारी सभी भाषाए "संस्कृत से निकली है" 
जर्मनी में तो यह बात बिलकुल गहराई तक स्वीकार की जा चुकी है की जर्मन भाषा संस्कृत की देंन  है ।
वहा के लोग बड़े गर्व से कहते है की हम आर्य है , हम भारत वाशियो की ही जैसे है , हमारे वंशज भारतवासी रहे है , जर्मनी की जो सबसे बड़ी हवाई सेवा -- जहाज उसका नाम है "लुफ़्तहंसा" ।

और वहा के वैज्ञानिको से जब पूछा गया की ये लुफ्तहंसा किस भाषा का शब्द है -तो वैज्ञानिको ने जवाब दिया --- ये संस्कृत भाषा का शब्द है ।

उसने बताया "लुफ्तहन्स" से लुफ्थहंसा बनाया गया -- लुफ्त मने खत्म हो गए ,विलीन हो गए और हंस तो जानते ही है। … जो बहुत कम दुनिया में दिखाई देती। ....  ज्यादा हंस भारत में ही हुआ करते थे , उन्होंने कहाँ भारत के संस्कृत में से  इसे निकाला है 


लुफ्त हंसा --- हंस जो लुफ्त हो गए ॥ इससे पता चलता है की जर्मनी सरकार का संस्कृत के प्रति इतना प्रेम है की उन्होंने अपने AIRLINES का नाम ही भारत के संस्कृत भाषा से बना लिया । और आज जर्मनी में पढ़ाई में संस्कृत भाषा पर सबसे ज्यादा पैसे खर्च हो रहा है । और जर्मनी भारत का पहला देश है जिसने एक यूनिवर्सिटी "संस्कृत साहित्य " के लिए समर्पित किया है । और जर्मनी दुनिया का पहला देश है , जिसने भारत की परंपरा को दुनिया को सिखाने और सिखने में कदम बढ़ाया । 
हमारे यहाँ जो ऋषि चरक हुए "चिकित्सा सम्बन्धी" …… जर्मनी की सरकार ने महर्षि चरक के  नाम पर एक स्पेशल विभाग बनाया "उसका नाम ही है चरकोलोजी। …
जर्मनी की सरकार सबसे ज्यादा पैसे खर्च भारतीय विद्याओ में कर रही है ।
अंग्रेजी में उसको कहते है "इंडोलॉजी" उसका मीनिंग होता है "भारतीय विद्या "

और जब जर्मन वैज्ञानिको से पूछा गया की आप लोग ऐसा क्यों  करते है , तो उन्होंने बताया की संस्कृत दुनिया की सबसे पुरानी भाषा है , और पहला ज्ञान जो भी है "संस्कृत में ही रही है" और हमें वो ज्ञान सीखना है ताकि हम अपने देश को आगे बढ़ा सके । 

तो सबसे पहली भाषा , सबसे पहली लिपि ,अर्थात  ज्ञान हमने दुनिया को दी

संस्कृत भाष पर दुनिया के वैज्ञानिको का कथन है ---

 [१] COMPUTER को चालाने के लिए जिस भाषा का सबसे बेहतर उपयोग हो सकता है
"वो संस्कृत भाषा है" 

COMPUTER चालाने के लिए आप जानते है की कुछ सिद्धांत तय किये जाते है ……
उनको अंग्रेजी में ALGORITHIMS कहे जाते है , जो ALGORITHIMS सबसे अच्छी बनी है , आज तक पूरी दुनिया में वो संस्कृत में ही बनी है ....... अंग्रेजी में नहीं बनी है । 

और आपको सुनके हैरानी होगी की दुनियाँ की सबसे BEST ALGORITHIMS जो अभी बनी है ,
वो भी संस्कृत भाषा में ही POSSIBLE हो पाया है , और अगले कुछ सालो में वो ALGORITHIMS पूरे दुनिया में छा जाएगा । 


इन वैज्ञानिको का कहना है की इस भाषा में दो चीज महत्वपूर्ण है--
जो दूसरी भाषाओ में नहीं मिलती ------------------------
पहली विशेस्ता जो है संस्कृत की वो ये है की इसका जो व्याकरण है वो एकदम पक्का है । इतना पक्का है की लाखो -करोड़ो वर्ष पहले किसी ऋषि मुनि ने व्याकरण में जो कह दिया है , वो २१ वी शताब्दी में भी उतना ही सच है जितना की लाखो करोड़ो वर्ष पहले ,


महर्षि पाणिनि के जो सूत्र है हजारो वर्ष पुराने है , और हज़ारो वर्ष पुराने महर्षि पाणिनि के सूत्रों में एक कोमा (,) एक पूर्णविराम  (। ) तक को बदलने की आजतक किसी को जरुरत नहीं लगती , ये इस भाषा की सबसे बरी विशेषता है  दुनिया की बाकी सभी भाषाओ में बदलाव होते है , समय के साथ बदलाव होते है और व्याकरण में भी कुछ बदलता रहता है लेकिन संस्कृत दुनिया की अकेली और विशिष्ठ भाषा है , जिसका व्याकरण महर्षि पाणिनि से लेकर आज २१ वी शताब्दी तक एकदम पक्का है और शायद अगले लाखो करोड़ो वर्षो तक उतना ही पक्का रहेगा जिसमे की  भूलचूक होने की संभावना नहीं होगी , ये संस्कृत भाषा की सबसे बड़ी विशेषता है इसीलिए फ्रांसीसियो ने  भाषा बनाई "फ्रेंच" उसको संस्कृत  आधार दिया , जर्मन लोगो ने  बनाई  उसको संस्कृत का आधार दिया , ऐशे सभी भाषाए का आधार संस्कृत ही रही है । 

आप कभी फ्रेंच भाषा या जर्मन भाषा को पढ़ने का कोशिश करेंगे तो बिलकुल वैसी  है जैसे संस्कृत ।
संस्कृत में धातु रूप होते ,है शब्दरूप होते है , फ्रेंच  ऐशे  है । अभी तक में जितने भी मूल भाषाओ की जांच कुछ वैज्ञानिको ने की है उनमे से 56 भाषा बिलकुल संस्कृत  शब्दरूप  ,धातुरूप सब मिलते है । बहुत मामूली अंतर है इनमे और संस्कृत में और वो मामूली  भी क्यों रखा गया ?


ये सवाल  भाषाओ  वाले से पुछा गया तो उन्होंने कहा ये जान बूझकर  रखा गया , इसके पीछे reason देते  है  की संस्कृत कौन और फ्रेंच कोन या other कोंन फिर कैसे जानेंगे ???और शायद ये  अंतर कभी ख़त्म भी हो सकती है तब पूरी दुनिया संस्कृत  शुरू कर देगी , जैसा  संस्कृत भाषा का चमत्कार छाया हुआ है  । 

और दूसरी सबसे बड़ी बात जो है जो  दुनिया के सारे वैज्ञानिक स्वीकार  करते है  .......
की भारत  सबसे विशिष्ठ भाषा संस्कृत  सबसे बड़ा शब्दों का भण्डार  है , इतना बड़ा शब्द भण्डार किसी भी भाषा में नहीं है । 


दुनिया में  ज्यादा कही जाने वाली  भाषा में अंग्रेजी ,फ्रेंच ,chainese ,जर्मन ,डच etc जितने  है ,इनसब से हज़ारो गुना ज्यादा शब्द संस्कृत में है  ।  महर्षि पाणिनि ने जब संस्कृत के व्याकरण की रचना की  तब से  लेकर आज तक जितने भी  शब्द इस्तेमाल  हुए है और लोगो   बीच में ,  शाश्त्र से , साहित्य के माध्यम  से ,बोलचाल के  माध्यम से आये है तो संस्कृत भाषा के  जितने  भी शब्द  इस्तेमाल  चुका है--

1002 अरब 78 करोड़ 50 लाख शब्दों  इस्तेमाल संस्कृत भाषा में  हो चुका है । 


और आज के संस्कृत के विद्वान कहते है की आज से अगले 100 वर्षो तक संस्कृत पे काम चलता रहे तो इतने ही और शब्दों का इस्तेमाल अगले १०० -२०० वर्षो में हो चुका होगा । आने वाले पीढ़ी में संस्कृत कम्पूटर की भाषा हो जायेगी क्योकि सबसे अच्छी ALGORITHM संस्कृत में ही बन पायी है । 

सभी वैज्ञानिको का कहना है की अगले १००-१५०-२०० वर्षो में लगभग इतने और  संस्कृत शब्दों के इस्तेमाल हो सकता है । दुनियाँ की कोई भाषा भारत के संस्कृत के सामने कुछ भी नहीं । 
और संस्कृत भाषा के जो वैज्ञानिक है वो कहते है की अन्नंत शब्द भण्डार है संस्कृत में , और ये जो 1002 अरब 78 करोड़  50 लाख  जो शब्द है , वो तो सिर्फ अभी इस्तेमाल ही हुए है महर्षि पाणिनि से अभी तक सिर्फ । और जो भविष्य में आने वाले शब्द है उनकी गिनती हम नहीं कर सकते । 

और मैं तीसरी बात बता रहा हूँ जो दुनिया के वैज्ञानिक कहते है की सबसे बड़ी बात अर्थात ज्यादा बड़ी वाक्य  को सबसे कम शब्दों में कहने की जो छमता है तो वो संस्कृत में है । साड़ी बाते आराम से संस्कृत भाषा में आ सकती है बिलकुल शार्ट में ,एक भी बात छुटे  बिना । इस भाषा में ये ताक़त है की बड़े से बड़े वाक्य को सूत्ररूप में ,संछेप रूप में कह सकती है , जो दूसरी भाषाओ में नहीं । 


तो दुनिया को सबसे पहली भाषा और सबसे पहली लिपि भारत ने दी । 
भाषा संस्कृत और लिपि ब्राह्मी । और बाद में देवनागरी लिपि पूरे वर्ल्ड में स्थापित हुई ।
दोनों ही लिपि भारत की ही देंन है । 


आज वैज्ञानिको का कहना है की आज पूरे वर्ल्ड में भाषा पर झगड़े होते है ,अगर सारे भाषा की लिपि देवनागरी हो जाए तो ,झगड़े ही ख़त्म । और वैज्ञानिको का कहना है की दुनिया में सिर्फ एक ही लिपि है जिसमे इतना ताक़त है की दुनिया के सारे भाषाओ को अपने में समावेश  कर सकती है "वो सिर्फ व् सिर्फ "देवनागरी लिपि है"
भारत एक वरदान  है  पूरे विश्व के लिए ॥ 

अब आप ही कहिये ये जो छोटे मानसिकता वाले हमारे पूर्व प्रधानमंत्री है , जो U.N में जाके सम्पूर्ण विश्व के सामने भारत को भिकारी ,गवाँर ,गरीब बतलाके !! सारे भारत-वाशियो को शर्म महसूस करवाता है ????
अरे भारत ने ही तो सारे विश्व को चलने के लिए वैशाखी दिया ॥
ये लेख तो पूरे समुन्द्र में से सिर्फ एक लोटा के बराबर ही है ॥
अभी तो भारत क्या क्या दिया है , अगले पोस्ट  पार्ट -३ तक का इंतज़ार करे ॥ 

और गर्व से कहे हमारा देश विश्व गुरु है ।  

ADMIN -MANISH KUMAR (आर्य )
पार्ट -1 की लिंक निचे दी जा रही है । 



1 comment:

  1. 1002 ARAB 78 CRORE 50 LAAKH ,,,,,, CORRECT SANSKRIT KE WORD USE HO CHUKE HAI ,,,, KAHI KAHI WRONG TYPE HO GYA THA .... USKO EDIT KARKE THIK KIYA GYA HAI ,,, CONFUSE KOI NA HO ...

    ADMIN

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