Sunday 15 November 2015

भारत आज भी ब्रिटेन का ही उपनिवेश है,झूठी आज़ादी (PART-1)





दिन - 12 OCTOBAR , 1997 (देश गुलामी में शर्मसार हुआ)

दिन १२ octobar ,1997  ब्रिटेन की महारानी "Elijabeth-2" भारत आई । और उसको हमारे देश की सरकार (कांग्रेस) ने निमंत्रण देके बुलाया था ?


तो एक तरफ हमारी सरकार कहती थी  , की उस समय देश के आज़ादी के 50 साल पूरे हो गए थे ,और हम आजादी की स्वर्ण जयंती मना रहे थे , दूसरी तरफ हमारी सरकार ऐसे लोगो को निमंत्रण दे रही थी , जिन्होंने भारत को गुलाम बनाया था ,जिन अंग्रेजो ने इस देश पर 250 साल राज किया था , इस देश की पूरी की पूरी अर्थवयवस्था को बर्बाद किया था , भारतीय खेती को बर्बाद किया , भारतीय कृषि को बर्बाद किया , जिन अंग्रेजो ने भारतीय संस्कृति ,सभ्यता ,शिक्षण पद्धति को बर्बाद किया , जिन अंग्रेजो के कारण हमारे देश की न्यायपद्धति का नाश हुआ , जिन अंग्रेजो के कारण हमारी कई पीढ़ियाँ  गुलामी की दौर में अपने आप को जिन्दा रख कर बढ़ा पायी आगे । ऐसे अंग्रेजो के प्रतिनिधि महारानी को हिंदुस्तान में बुलाना उस समय सारे देश वाशियो को अखर रहा था। सारे देश वाशियो को समझ नहीं आ रहा था की ब्रिटेन की महारानी आई क्यों है ???

1997 से , पिछले 50 सालो में उस वक्त ब्रिटेन की महारानी और ब्रिटेन की सरकार ने ऐसा कुछ नहीं किया , जिससे ये सिद्ध होता हो की ब्रिटेन की सरकार पश्ताताप करना चाहती हो ??अगर वो पश्चाताप ही करना चाहते थे , तो हिंदुस्तान से वो सारी  वयवस्थाओ को वापस ले जाते , जो उन्होंने हिंदुस्तान मेंडाल  कर छोरी , लेकिन ऐसा तो हुआ नहीं , उस वक़्त पिछले 50 सालो में ब्रिटेन ने ऐसा कोई भी सबूत पेश नहीं  की , जो देख के लगे की वे  हिंदुस्तान के प्रति कोई दयाभाव रखते है ?? या कोई सद्भावना रखते है ??

लिंक में जाए ,न्यूज़ देखे । 

NEW DELHI, India (CNN) -- Queen Elizabeth II on Sunday began her first visit to India in nearly 15 years, with protesters calling on her to apologize for the 1919 massacre of hundreds of Indians by British troops.
EDITION.CNN.COM


तो ऐसे समय में जब इस देश में आज़ादी की स्वर्ण जयंती मनाई जा रही हो , तो इस देश में गुलामी के दिनो की याद दिलाने के लिए , ब्रिटेन की महारानी को बुलाना , मैं हिंदुस्तान के शहीदो का अपमान मानता हूँ । हिंदुस्तान के जिन लाखो , करोड़ो शहीदो ने ब्रिटेन की साम्राज्यी वयवस्था को जड़ से उखाड़ फेकने में अपनी प्राणो का बलिदान किया हो , अपनी कुर्बानियाँ दी हो ?? लाखो लाखो नौ-जवान अंग्रेजो की गोलियाँ खायी हो ?? हज़ारो देश भक्तो को काले पानी की सज़ा मिली हो , और हज़ारो लाखो लोगो को अंग्रेजो ने फांसी पे लटका दिया हो ??

ऐसे  हिंदुस्तान में उन अंग्रेजो का स्वागत करना , मुझे बहुत अपमान जनक लग  रहा है , 1997 में महारानी के आने पर भारत सरकार जश्न मना रही थी ??? और इस देश का पग-पग पर अपमान किया जा रहा था , रानी की आने पर खुशी मनाने से ।

ब्रिटेन की महारानी जो इस देश में आई थी , आपको शायद पता नहीं होगा,की महारानी को passport और VISA की जरूरत नहीं है  , हिंदुस्तान में आने के लिए ?? बिना PASSPORT के और बिना VISA के रानी को  हिंदुस्तान में  बुलाया गया था ? दुनिया के किसी देश में आप जाइए , आपको पासपोर्ट नहीं है आपके पास ,तो आप घूस नहीं सकते ।

उस वक़्त दुनिया के किसी भी देश में जाइए , तो बिना VISA के आपको एयरपोर्ट पर वापस दूसरी flight पकराके भेज दिया जाता । दुनिया के किसी भी देश में उस वक्त ऐसा प्रोटोकॉल नहीं था , की बिना पासपोर्ट और बिना visa के कोई आदमी एक देश से दूसरे देश जा सके । और पासपोर्ट पर तो आज भी वही क़ानून है।

लेकिन ब्रिटेन की रानी को अगर आज भी अमेरिका में जाना परे , तो अमेरिका में बायकायदा पासपोर्ट लेना पड़ेगा , visa भी लेना परता है , तब जाके ब्रिटेन की रानी अमेरिका जा सकती है । और आपको बता दू , अमेरिका भी कभी ब्रिटेन का गुलाम रहा है ।

अगर ब्रिटेन की रानी को अमेरिका  जाना परे , फ्रांस जाना पर , तो फ्रांस की सरकार बिना visa और पासपोर्ट के ब्रिटेन के किसी भी राजा  को अपने देश  घुसने  परमिशन नहीं देते ।
वो लोग ये मानते  की ये हमारे  राष्ट्रिय सम्मान  का   प्रश्न है , इसीलिए ब्रिटेन महारानी  ऐसे किसी भी देश जाए ,फ्रांस जाए ,अमेरिका जाए ,जर्मनी जाए , उसको visa और पासपोर्ट लेना  पड़ेगा ।

लेकिन हिंदुस्तान में  बिना पासपोर्ट और बिना visa  के क्यों ?? ऐसा क्यों ??

एक तरफ तो हम कहते है  ब्रिटेन का साम्राज्य ख़त्म हो चूका है ,ब्रिटेन का राज ख़त्म हो चूका है ,पहले  ब्रिटेन की रानी हमारी महारानी होती थी ,अब तो वो हमारी महारानी नहीं है , क्योकि अब तो अंग्रेजो का शाशन इस देश में नहीं है । अब तो अंग्रेजो की वयवस्था नहीं चलती , तो जिस वक्त ये देश गुलाम था अंग्रेजो का , अगर उस वक्त रानी बिना VISA और पासपोर्ट के भारत आती थी , तो समझ में आता था की वो अपने ही दूसरे देश में आई है । इंग्लैंड के लोग हिंदुस्तान को अपना एक उपनिवेश मानते थे , अपनी एक कॉलोनी  मानते थे , तो चुकी हमारा देश अंग्रेजो का कॉलोनी था ,और अंग्रेजो का एक उपनिवेश था , तो उस वक्त अंग्रेजो के किसी भी राजा को , किसी भी अधिकारी को हिन्दुतान में आने
के लिए पासपोर्ट नहीं लेना परता था ,visa  नहीं लेना परता था ।


तो ये बात अगर 1947 के पहले की होती , तो देश की जनता को  बात समझ में आने वाली बात थी । लेकिन अब तो अंग्रेजो के उपनिवेश हम नहीं  है ,ऐसा ही हमसे कहा जाता है न ??? आज तो हम आज़ाद है , यही कहा जाता है न ??? 15 अगस्त 1947 को ये देश आज़ाद हो गया , यही बताया जाता है हमको न ।

तो अगर ये बात सत्य है , भारत अब ब्रिटेन का साम्राज्य नहीं है , उपनिवेश नहीं है ? तो रानी को भी अब भारत देश में VISA और पासपोर्ट लेके आनी चाहिए थी । लेकिन ऐसा तो नही हुआ था ।

इससे तो ये बाते निकलती है, की आज भी भारत ब्रिटेन का उपनिवेश ही है , तभी रानी बिना
VISA ,पासपोर्ट के भारत आई थी , और भविष्य में भी ऐसा ही होने वाला है । और अगर या हम
ब्रिटेन के उपनिवेश नहीं है , तो रानी को पासपोर्ट और VISA लेना चाहिए था ,कभी भी दो सत्य
एक साथ नहीं चलते ।


या सच है , की भारत आज भी ब्रिटेन का उपनिवेश है , तब तो रानी के बिना पासपोर्ट औरबिना visa  के हमारे देश में आना समझ में आता है ।

और या फिर ये सत्य है की हिंदुस्तान अब ब्रिटेन का  गुलाम नहीं है , इसीलिए रानी को बिना  VISA और  पासपोर्ट के नही आना चाहिए ।

लेकिन घटना तो ये घटित हुई थी की , रानी को VISA ,PASSPORT की जरुरत नहीं है ,
भारत में आने के लिए ?? और ये बात हिन्दुस्तान की सरकार के खुद कही थी ???

तो इसका यही अर्थ निकालता है , की या तो जैसे आप अगर विदेश जाए , और आप हिंदुस्तान के नागरिक है , हिंदुस्तान के नागरिक की हैसियत से , आप दुनिया के किसी भी देश जाइए , जब आप वापस अपने देश लौटेंगे , तो आपसे कोई भी VISA ,पासपोर्ट नहीं पूछेगा , क्योकि आप अपने ही देश वापस लोट रहे है , आप इस देश की नागरिक है ।

और जैसा की भारत सरकार ने कहा था , की ब्रिटेन की रानी को VISA,  PASSPORT की जरुरत
नहीं है ? 
तो दो ही बाते हो सकती है , या तो ये माना जाना चाहिए की रानी या तो हिन्दुस्तान की
नागरिक है , क्योकि 
भारत के नागरिक को अपने देश में आने के लिए VISA ,पासपोर्ट की जरुरत
नहीं होती , या आज भी हिंदुस्तान ब्रिटेन का उपनिवेश है ???
और इसीलिए रानी बिना VISA ,PASSPORT के भारत आते जाते रहती आई है ।


इनदोनो में से कोई एक बात सत्य है ।

लेकिन ये सत्य बात हिंदुस्तान के बड़े बड़े नेताओ के दिमाग में आ नहीं रही है , जो रानी के स्वागत में लगे हुए थे , और हिंदुस्तान के जितने बड़े अखबार उस दिन छपे थे , उनमे से किसी भी अखबार ने ये बात नहीं छपी थी , की रानी को  बिना visa ,पासपोर्ट के भारत में घुसने कैसे दिया गया ??

इससे दो ही बाते सिद्ध होती है या तो रानी हिंदुस्तान की नागरिक है या तो हिंदुस्तान ब्रिटेन का आज भी उपनिवेश है ??? अगर ये दोनों बाते सत्य है , तो ये 15 august  1947 को हमारी आज़ादी की बात क्यों
कही जाती है फिर ???

15 अगस्त 1947 को हम आज़ाद ही नहीं हुए , क्योकि 15 अगस्त 1947 को हम आजाद हो गए होते तो आज हिंदुस्तान ब्रिटेन का उपनिवेश नहीं  होता , और अगर हिंदुस्तान ब्रिटेन का उपनिवेश नहीं होता तो रानी का बिना visa ,passport का भारत आ पाना संभव नहीं होता ।

आपके देश का राष्ट्रपति जब दूसरे देश यात्रा में जाता है तो उसे उस देश के  प्रोटोकॉल के तहत चलना परता है , और एक बात बता दू , आपके देश का राष्ट्रपति अगर अमेरिका जाए ,आपके देश के प्रधानमंत्री अगर दूसरे देश जाए तो आपके देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के जो अंगरक्षक होंगे ,
उनसे हथियार रखवा दिए जाते है , AIRPORT पर ???
और अंगरक्षकों को राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री के साथ चलने भी  नहीं दिया जाता, कभी कभी  ।


लेकिन ब्रिटेन की रानी अपने साथ पूरे के पूरे अंगरक्षकों को लेकर आई थी , वो भी हथियार के साथ , उसको इस देश में रोका नहीं गया ,उसके अंगरक्षको को इस देश में आने की खुली छूठ मिली थी ॥ लेकिन भारत का राष्ट्रपति अगर ब्रिटेन जाए ? तो उसको अपने अंगरक्षक ले जाने की अनुमति नहीं है ।

ये सारी  बाते  कहती है की आपके देश में आज भी राजनैतिक , कागजी , आदि रूप से गुलामी आज भी बरकरार है ।  दूसरी इससे भी ज्यादा अपमान  की बात ये है की , हिंदुस्तान की सरकार ने रानी के सम्मान में दिल्ली में एक कार्यकर्म आयोजित किया था , और दिल्ली में सरकार का एक म्यूज़ियम है , जिसका नाम है नेशनल म्यूजियम (राष्ट्रिय संग्राहलय) उसमे ये कार्यकर्म आयोजित किया , और उस कार्यकर्म के आयोजन पर जो निमंत्रण पत्र बाते गए ।

उन  पत्रो में राष्ट्रपति का नाम निचे था , और रानी का नाम ऊपर था ?? ऐसा क्यों ??

हिन्दुस्तान की सारी की सारी  राष्ट्रिय अस्मिययता और सम्मान को चोट पहुचाई गयी , जब रानी का नाम ऊपर और हमारे देश के राष्ट्रपति का नाम निचे रहा ???

और इस देश का राष्ट्रपति इस देश का  प्रथम पुरुष , संविधान का सबसे प्रमुख व्यक्ति है । और फिर भी हमारे देश के राष्ट्रपति का नाम रानी से निचे कैसे  देश में ??

 ये भारतीय संविधान का सरा-सर अपमान है । भारतीय राज्य वयवस्था का अपमान है , उन शहीदो की कुर्बानी इस देश के लिए जो हुआ , उन शहीदो का अपमान है । और ये अपमान आपकी सरकार ने किया (कांग्रेस), क्योकि वो निमंत्रण कार्ड भारत सरकार ने छपवाया , और अगर उस निमंत्रण कार्ड में रानी का नाम ऊपर है , राष्ट्रपति का नाम  निचे है ?? तो ये दुर्घटना कब होती थी ,जब हिन्दुस्तान गुलाम था अंग्रेजो का ???

और जब हिंदुस्तान गुलाम था अंग्रेजो का , तब अंग्रेजो का राजा इस देश में आया था , जिसका नाम था "JEORGE PANCHAM" सन 1911 में आया था वो इस देश में , तो जब जॉर्ज पंचम जिस देश में आया ,
जॉर्ज पंचम का नाम ऊपर था और हिंदुस्तान में वॉयसराय जो था अंग्रेजो का , उसका नाम निचे था ।

तो उस ज़माने में अगर ये दुर्घटना हुई तो हम मानने के लिए तैयार है की 1911 में ये देश अंग्रेजो का गुलाम था , ब्रिटेन का उपनिवेश था ।

लेकिन आज आज़ादी के 50 साल बाद (1997) में यही दुर्घटना हुई , तो कौन सी बात हम भारत वासी
माने ?? 
या तो ये देश ब्रिटेन का उपनिवेश है , तभी ये संभव हो सकता है , महारानी का नाम ऊपर हो और राष्ट्रपति का नाम निचे ।


क्योकि इंग्लैंड और ब्रिटेन का जो भी प्रधानमंत्री होता है , उसका नाम हमेसा रानी के नाम के निचे होता है ,ये वहाँ की परंपरा है ।

और ब्रिटेन में रानी की हैसियत राष्ट्रपति के बराबर की होती है , तो वह रानी का नाम ऊपर होता है और ब्रिटेन की संसद का जो प्रधानमंत्री होता है , उसका नाम निचे रहता है , क्योकि रानी ब्रिटेन की महारानी है , पर मेरे देश भारत की तो नहीं है , महारानी वो ?????

लेकिन मेरे देश में क्यों हो गया ?? और ये कोई प्रिंटिंग मिस्टेक थी , ऐसा नहीं है ।

भारत सरकार ने बाकायदा  तर्क दिया , की हमने ये किया जानबूझ कर किया है ???


ADMIN - मनीष कुमार (आर्य)


 .......... …… पार्ट -2 के लिए यहाँ जाए , इसमें इस बात की अच्छे से पुष्टि की गयी है , की भारत आज़ाद आज भी नहीं है , बल्कि हम आज भी ब्रिटेन की ही उपनिवेश है ।



धन्यवाद 

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