Sunday 15 November 2015

आज़ादी के बाद भी गुलामी में शर्मसार हुई देश - ( PART-2)



PART- 1 पहले पढ़े ।


 ....... ...... (PART-2)

और हम लोग ये इंतज़ार कर रहे है की , हमने जो ये सुप्रीम कोर्ट बनाये है ?? ये संविधान की रक्षा करने के लिए बनाये है हमने , और अगर संविधान का अपमान हो रहा है तो , हिंदुस्तान का सुप्रीम कोर्ट खामोश क्यों रहा है ??? क्या हमने सुप्रीम कोर्ट इसीलिए बनाये है , की ये चुप चाप देश का अपमान होते हुए देखता रहे ?? हिंदुस्तान का सुप्रीम कोर्ट खामोश रहा , इतना बड़े राष्ट्रिय अपमान होते हुए ।

उस दिन देश के सभी बड़े नेता गुलामी में चुप रहा , खामोश रहा , सुप्रीम कोर्ट खामोश रहा । इतने बड़े राष्ट्रिय अपमान के प्रश्न पर ????

सवाल उठे , पर सब राजनैतिक पार्टिया खामोश रही ???

और इससे भी बड़ा देश का अपमान हुआ जब उस दिन रानी को भारत सरकार के 21 तोपो की सलामी
 दी गयी ??????

और शहीदो की मूह पे कालिख पोत दी गयी , सारा हिन्दुस्तान के नागरिको के मुँख पर कालिक पोती गयी , देश शर्मसार हो गया , इन कोंग्रेसियो ने देश का अपमान किया ,शहीदो का अपमान किया ,
फांसी पे लटका 
देनी चाहिए थी उस दिन इन देश द्रोहियो को ।  ये कांग्रेस आज भी देश को खोखला
कर रही है ॥


ये भारत देश का प्रोटोकॉल है की , जब भी नया राष्ट्रपति , अपना पद ग्रहण करता है तो ,
उसको  21 तोपो की सलामी दी जाती है । बाकी किसी को नहीं दी जाती ? जब कोई नया व्यक्ति
राष्ट्रपति बनता है , तब संविधान के प्रोटोकॉल के अनुसार उसको 21 टोपो की सलामी दी जाती है ,
सिर्फ इस देश का राष्ट्रपति हकदार है ॥


लेकिन ब्रिटेन की रानी के लिए उस दिन 21 तोपो की सलामी दी गयी, जिस दिन वो दिल्ली में उतरी  ?????

इससे बड़ा राष्ट्रिय शर्म का कोई दूसरा प्रश्न हो नहीं सकता , और ये जो राष्ट्रिय प्रश्न खड़ा हुआ इस देश
में , 
ये हर व्यक्ति से दो ही सवाल पूछ रहा है , क्या हम आज़ाद है ?? क्या ये भारत ब्रिटेन का उपनिवेश नहीं है , और अगर ये देश ब्रिटेन का उपनिवेश नहीं है ??

तो फिर ये 1997 में इतना तमाशा क्यों हुआ ??????????

और या कहे हम ईमानदारी से की हम आज भी ब्रिटेन के उपनिवेश है , तो 15 अगस्त 1947 क्यों मनाते है हमसब ????? क्यों आज पिछले 68 वर्षो में 15  अगस्त  का नाटक चल रहा  देश में ????

क्यों पढ़ाया जाता है हमें , की 15  अगस्त को  हमारा स्वतंत्रता दिवस है , अरे काहे का स्वंत्रता ????
जब आज भी हम उसी गुलामी में फसे हुए है , जो अंग्रेजो के ज़माने में चला करती थी ???

और उससे भी ज्यादा देश तब  शर्मसार हुआ , जब ब्रिटेन की महारानी के सम्मान में एयरपोर्ट पर वही गीत गया गया , जो जॉर्ज पंचम के सम्मान में 1911 में गाय गया था , कलकत्ता में ????

कौन सा गीत था वो ,आज़ादी से पहले  हिंदुस्तान में ब्रिटेन के लोगो के समर्थक में कुछ चाटुकार
लोग रहे , 
न की सिर्फ ब्रिटेन के समर्थक रहे ?? बल्कि अंग्रेजो के तलवे चाटने वाले लोगो की कमी
नहीं रही ???


और जिन खानदानों ने अंग्रेजो के जितने ज्यादा तलवे चाटे , उन्ही खानदानों का नाम इस देश में गर्व
से लेते 
है लोग ??? जो अंग्रेजो के सबसे ज्यादा पिटठू बनके रहे , जो अंग्रेजो के चरणो में शाष्टांग बिछ
जाते थे , 
ऐसे ही चाटुकार को इस देश की इतिहास की पुस्तक में बड़े गर्व से पढ़ाया जाता है , और ऐसा ही एक खानदान था जो , अंग्रेजो  गुलामी में न्योछावर होके डूबा हुआ था ।

पालतू बन के रहता था , उस खानदान का नाम था "टैगोर खानदान" और उस टैगोर खानदान का
एक व्यक्ति 
था , जिसका नाम था "रविन्द्र नाथ टैगोर"  ??????


उस रविन्द्र नाथ टैगोर ने 1911 में जोर्ज पंचम के स्वागत में , एक गीत लिख दिया था , और न सिर्फ
उस आदमी 
ने गीत लिखा बल्कि जब कलकत्ता में जॉर्ज पंचम पहुँचा और उस भरी सभा में ,
उस दिन लाखो लोग उपस्थित 
थे , उस दिन  गुलामी का गीत गाया गया , और ब्रिटेन के राजा का सम्मान किया गया , और ये काम रविन्द्र नाथ टैगोर ने अपने मुँह से किया ????

और वो गीत कौन सा था , जो रविन्द्र नाथ टैगोर ने इंग्लैंड की राजा की  इस्तुति का गान करते हुए गया  ,
उसके लिए लिखा ??????


वो गीत वही है , जिसको आप लोग बड़े शान से गाते है --------- [गुलामी की गीत]

"जन गण मन अधिनायक जय है ,भारत भाग्य विधाता ??"

बहुत शर्म आनी चाहिए , देश वाशियो को जब वो गीत गाने हमें कहा जाता है ? रविन्द्र नाथ टैगोर
अंग्रेजो का चापलूसी करता था , चाटुकार था अंग्रेजो का ,इसीलिए उसने अंग्रेजो के राजा के सम्मान
गीत लिखा था ॥


लेकिन मेरे आज़ाद देश में उस गीत को बार बार गँवाया जाए , ये हमारा राष्ट्रिय अपमान का प्रश्न है ।

और जो गीत अंग्रेजो के राजा के सम्मान में गया गया था , वही गीत "जन गण मन अधिनायक जय है ,
भारत भाग्य विधाता"

1997 में गुलामी में दिल्ली एयरपोर्ट पर "ब्रिटेन की रानी एलिजाबेथ-२" के लिए वही गीत गाया गया ???
महारानी का सम्मान में ???

आपने कभी ध्यान दिया है , की इस गीत का मतलब , इस गीत का शब्द ???

जन गण मन अधिनायक जय है --
"हिंदुस्तान की जनता का मनो के अधिनायक , तुम्हारी जय हो "

मतलब - जॉर्ज पंचम तुम हिंदुस्तान के जनता के मनो के ,गणों के अधिनायक हो , super bose हो ।

इसीलिए तुम्हारी जय हो , ये रविन्द्र नाथ टैगोर 1911 में गा रहे है ???

भला इससे ज्यादा चटुकारिता  का दूसरा प्रमाण मिल सकता है ??
वही 1997 में फिर से दोहराया गया , ब्रिटेन की महारानी के लिए ??

और दूसरा लाइन है ,
जन गण मन अधिनायक जय है , भारत भाग्य विधाता ---
"माने , तुम भारत के भाग्य के विधाता हो"

माने , हमारा भाग्य तुम लिख रहे हो। । अरे , ये तो कोई भगवान से भी नहीं कहता है ,
लेकिन रविन्द्र नाथ 
टैगोर ने तो हिन्दुतान के साम्रज्यवी राजा का प्रतिक जॉर्ज पंचम था ,
उसको भगवान से भी ऊपर रख दिया 
था , की तुम तो भारत के भाग्य विधाता हो ?

पंजाब सिंध गुजरात मराठा ,द्रविल उचकल बंग ,
हिन्दे हिमाचल यमुना गंगा , उत्छाल जलदीतरंग ,
तब शुभ नाम जागे ,तब शुभ आशीष मांगे ------

"मने , पंजाब सिंध गुजरात ,मराठा , द्रविड़ ,उत्चकल ,बंग ये सारे हिंदुस्तानी इलाका ,
तुम्हारे लिए आशीष मांग रहा है ,


तब शुभ आशीष मांगे  -- "तुम्हारे भलाई की प्रार्थना कर रहा है।

ये पूरा हिंदुस्तान जब  गुलामी में सिसक रहा था , तब रविन्द्र नाथ टैगोर लिख रहे है की जॉर्ज पंचम ,
तेरे लिए सारा देश आशीष मांग रहा है ??

फिर अंत में जन गण मंगल दायक जय है ,भारत भाग्य विधाता --
 "हे जॉर्ज पंचम तुमरा मंगल हो , तुमरा कल्याण हो ।

मने , जो हमको गुलाम बनाने के लिए आये है , उनकी चाटुकारिता में कोई आदमी कितना बिछ सकता है , इसका ये निकृष्ट नमूना है ।

और अंत में वे कह रहे है ,
जय है जय है जय है "मने, तुम्हारी ही जय है ,तुम्हारी ही जय है ?

ऐसा गुलामी का प्रतिक गीत ,  ऐसे हिंदुस्तानी के मुँह से जिसे आप शायद श्रद्धा की नजर से देखते होंगे ।
और जब ये गीत गा दिया था उन्होंने , और पंचम के  चरणो में बिछ गए थे रवीन्द्रनाथ टैगोर तब  अंग्रेजो ने
उन्हें नोबल prize दिलवा दिया था , पुरष्कार के रूप में ??

रविंद्रनाथ टैगोर को ऐसे ही नोबल पुरस्कार नहीं मिला था , अंग्रेजो ने कुछ नियम बनाये थे , कुछ
परंपरा बनाई 
थी , और अंग्रेजो के नियम क्या थे की जो अंग्रेजो की जितनी ज्यादा  चाटुकरिता करे ,
जो अंग्रेजो के जितने ज्यादा पैर चाटे , उसी को अंग्रेजी सरकार रॉय बहादुर का खिताब देती थी ,
उसी को अंग्रेजी सरकार इंग्लैंड में और हिंदुस्तान में nighthood ही पदवियाँ दिया करती थी ।


ऐसे ही लोगो को अंग्रेजो की तरफ से इनाम मिलते थे , और ये लोग अंग्रेजो के चरण चाटते थे , और हिन्दुस्तान  गालियाँ देते थे ।

और ऐसे चरण चाटु लोग , आपने नाम सुना है , हिंदुस्तान के राजाओ के दरबार में ऐसे ही
"चारण और भाट" हुआ करते थे , वो चारण और भाट क्या करते थे , की राजा चाहे कितना भी
गन्दा हो , कितना भी बदमाश हो , चाहे जितना भी लफंगा हो ,वो चारण और भाट हमेसा प्रजा
में राजा की प्रसंशा ही करते थे ।


बदले राजा उनको इनाम बाटता था , ऐसे चारण भाटो का खानदान है ये , टैगोर खानदान ,
 जिन्होंने ये गीत लिखा ????

"हिंदुस्तान का  नहीं है , ये जन गण मन अधिनायक जय है ????


हिन्दुस्तान का गीत तो "वन्दे मातरम" रहा है ।


और ये वन्दे मातरम जैसा गीत जो भारत की आज़ादी का प्रतीक  था , जो भगत सिंह , चंद्रशेखर आज़ाद, राजगुरु  जैसो को श्रद्धांजलि का प्रतीक था , ऐसे वन्दे मातरम गीत को , हिंदुस्तान में राष्ट्रिय गीत का दर्जा
मिलने में पूरे 50 साल लग गए , जबकि "गुलामी का गीत "जन ,गण मन" भारत के झूठे आज़ादी के साथ ही  मिला था ।

आज़ादी के बाद कांग्रेस के दो अधिवेशन हुए थे , ये दोनों अधिवेशनों में ये फैशला हुआ था , की हिंदुस्तान के आज़ादी के बाद "ये जन गण मन" हमारा राष्ट्रिय गीत नहीं रहेगा ।

लेकिन उसी कांग्रेस के लुच्चे नेताओ ने , आज़ादी के बाद उसी को अपने देश की राष्ट्रिय गीत
घोसित करवा 
दिया ??? इससे ज्यादा शर्म की दूसरी बात हो नहीं सकती ??

और जो गीत 1911 में जॉर्ज पंचम के अगुवाई में गया गया था , वही गुलामी का गीत फिर से कोंग्रेसियो
की सरकार ने 1997 में रानी एलिजाबेथ के सम्मान में गया ?? पूरा देश को शर्मसार कर डाला ,

इन विदेशी कोंग्रेसी कुत्तो ने ।

अरे कैसे कहे की ये देश आज़ाद है ?
1911 में जो हमने सुना वही तो अपने आँखो  के सामने होता 1997 में देखा ।

उस ज़माने में चारण भाटो जैसा काम , टैगोर जैसे खानदान करते थे ।और आज भी चारण भाटो
की कमी नहीं 
है , जो रात दिन रानी की सम्मान में कविताए लिख रहे थे  ,यही चारण -भाटो लोग , साहित्यकार से जाने जाते है "जो साल 2015 में अवार्ड वापसी" कर रहे है ।

क्योकि एक चाटुकार कांग्रेस ने ही दूसरे चाटुकार को अवार्ड दे दिया । । ये चाटुकार लोग ब्रिटेन की
रानी के सम्मान में लेख लिख रहे थे , इसी उम्मीद में की शायद अंग्रेजो की दया द्रिष्टि हो जाए ,

तो हमको भी कोई नोबल PRIZE मिल जाए , या रॉय बहादुर का खिताब मिल जाए ??

एक और बात , जब जॉर्ज पंचम आया था , तब गरम दाल नाम का एक तबका था , जिसने भयंकर
विरोध किया था , जॉर्ज   पंचम का।


हज़ारो लोगो ने इस विरोध में हिस्सा लिया था , इसके नायक थे , लोकमान्य तिलक , लिकमान्य तिलक जॉर्ज पंचम का भारत आना राष्ट्रिय अपमान मानते थे ,

इसीलिए उन्होंने कॉल दिया था , की जॉर्ज पंचम के समारोह में कोई भी हिंदुस्तानी अपने आपको राष्ट्रवादी कहता है तो , वो वहाँ  जाएगा नहीं ।

और जो लोग खुद को राष्ट्रवादी मानते थे ,वो वहाँ  नहीं गए थे , जॉर्ज पंचम के सम्मान में ।

तो तिलक जैसे नेताओ ने उस ज़माने में विरोध किया था , और उन्ही के हज़ारो सहयोगी पर जॉर्ज पंचम को काले झंडे दिखाने पर , उनपर लाठियाँ चलायी गयी और उनको जेल में बंद किया गया ।

तो जॉर्ज पंचम का विरोध जिसने किया , जो हिंदुस्तान को अपनी माँ मानते थे ,जो मातृभूमि मानते थे
और जो हिन्दुस्तान का अपमान  बर्दास्त नहीं कर सकते थे , तो ऐसे लोगो ने जॉर्ज पंचम को काले झंडे दिखाए तो अंग्रेजी सरकार ने उनपर लाठीचार्ज किया था , और  पकर के जेल में बंद कर दिया था ।


वही घटना 1997 में फिर से दोहराई गयी , उस दिन दिल्ली  के अखबारों में ये छपा था ,मुंबई के अखबारों
में नहीं छपा था , आज़ादी बचाओ आंदोलन के 1500 से भी ज्यादा कार्यकर्त्ताओ पर लाठीचार्ज हुआ था ,

उस दिन दिल्ली में ????

की उन सब देश भक्तो ने रानी का विरोध किया था । उस दिन एयरपोर्ट पर। .

मने , हमारे देश की कांग्रेस सरकार , हमें ही पिटवा रही है , क्योकि हमने महारानी का विरोध किया ,
विरोध कैसे कर रहे है ? की हम सत्य बोल रहे थे । इसीलिए हमलोगो ने उस दिन मार खायी थी ॥

ये वही कांग्रेस है -- "जिसने विदेशो में भारत को फिर से गुलाम बनाने की भीख मांगती आई है"
इसके लिए ये पोस्ट पढ़े ॥

नीचे क्लिक करे । 


ADMIN - MANISH KUMAR (आर्य)

पार्ट -3  में और भी स्पष्ट की जायेगी , की भारत 99 YEAR के LEASE पर है , आज ।

धन्यवाद

No comments:

Post a Comment