GRAVITATION FORCE
हम सभी विद्यालयों में पढ़ते हैं की न्यूटन(NEWTON) ने गुरुत्वाकर्षण(Gravitation Force) की खोज की थी,
पर आप को ये जान कर कैसा लगेगा कि गुरुत्वाकर्षण का नियम सर्वप्रथम न्यूटन ने नहीं बल्कि एक भारतीय
महर्षि ने खोजा था? इसीलिए हमें भारतीय होने पर गर्व है।जिस समय न्यूटन के पूर्वज जंगली लोग थे,
उस समय महर्षि भाष्कराचार्य ने पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति पर एक पूरा ग्रन्थ रच डाला था किन्तु
आज हमें कितना बड़ा झूठ पढना पढता है कि गुरुत्वाकर्षण शक्ति कि खोज न्यूटन ने की,
ये हमारे लिए शर्म की बात है।
भास्कराचार्य सिद्धान्त की बात कहते हैं कि वस्तुओं की शक्ति बड़ी विचित्र है।
"मरुच्लो भूरचला स्वभावतो यतो,विचित्रावतवस्तु शक्त्य:।।
"सिद्धांतशिरोमणिगोलाध्याय -
भुवनकोशआगे कहते हैं-
"आकृष्टिशक्तिश्च मही तया यत् खस्थं,गुरुस्वाभिमुखं स्वशक्तत्या।
आकृष्यते तत्पततीव भाति,समेसमन्तात् क्व पतत्वियं खे।।"
सिद्धांतशिरोमणिगोलाध्याय - भुवनकोश
अर्थात् पृथ्वी में आकर्षण शक्ति है। पृथ्वी अपनी आकर्षण शक्ति से भारी पदार्थों को अपनी ओर खींचती है
और आकर्षण के कारण वह जमीन पर गिरते हैं। पर जब आकाश में समान ताकत चारों ओर से लगे,
तो कोई कैसे गिरे? अर्थात् आकाश में ग्रह निरावलम्ब रहते हैं क्योंकि विविध ग्रहों की गुरुत्व शक्तियाँ
संतुलन बनाए रखती हैं।
उन्होंने गुरुत्वाकर्षण की खोज न्यूटन से 500 वर्ष पूर्व ही कर दी थी।
जब भास्कराचार्य की अवस्था मात्र 32 वर्ष की थी तो उन्होंने अपने प्रथम ग्रन्थ ‘सिद्धान्त शिरोमणि’ की रचना की। उन्होंने इस ग्रन्थ की रचना चार खंडों में की: 'पारी गणित', बीज गणित', 'गणिताध्याय' तथा 'गोलाध्याय'।पारी गणित नामक खंड में संख्या प्रणाली, शून्य, भिन्न, त्रैशशिक तथा क्षेत्रमिति इत्यादि विषयों पर प्रकाश डाला गया है।
जबकि बीज गणित नामक खंड में धनात्मक तथा ऋणात्मक राशियों की चर्चा की गई है तथा इसमें बताया गया है कि धनात्मक तथा ऋणात्मक दोनों प्रकार की संख्याओं के वर्ग का मान धनात्मक ही होता है।
पर आप को ये जान कर कैसा लगेगा कि गुरुत्वाकर्षण का नियम सर्वप्रथम न्यूटन ने नहीं बल्कि एक भारतीय
महर्षि ने खोजा था? इसीलिए हमें भारतीय होने पर गर्व है।जिस समय न्यूटन के पूर्वज जंगली लोग थे,
उस समय महर्षि भाष्कराचार्य ने पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति पर एक पूरा ग्रन्थ रच डाला था किन्तु
आज हमें कितना बड़ा झूठ पढना पढता है कि गुरुत्वाकर्षण शक्ति कि खोज न्यूटन ने की,
ये हमारे लिए शर्म की बात है।
"मरुच्लो भूरचला स्वभावतो यतो,विचित्रावतवस्तु शक्त्य:।।
"सिद्धांतशिरोमणिगोलाध्याय -
भुवनकोशआगे कहते हैं-
"आकृष्टिशक्तिश्च मही तया यत् खस्थं,गुरुस्वाभिमुखं स्वशक्तत्या।
आकृष्यते तत्पततीव भाति,समेसमन्तात् क्व पतत्वियं खे।।"
सिद्धांतशिरोमणिगोलाध्याय - भुवनकोश
अर्थात् पृथ्वी में आकर्षण शक्ति है। पृथ्वी अपनी आकर्षण शक्ति से भारी पदार्थों को अपनी ओर खींचती है
और आकर्षण के कारण वह जमीन पर गिरते हैं। पर जब आकाश में समान ताकत चारों ओर से लगे,
तो कोई कैसे गिरे? अर्थात् आकाश में ग्रह निरावलम्ब रहते हैं क्योंकि विविध ग्रहों की गुरुत्व शक्तियाँ
संतुलन बनाए रखती हैं।
उन्होंने गुरुत्वाकर्षण की खोज न्यूटन से 500 वर्ष पूर्व ही कर दी थी।
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