Wednesday 18 November 2015

भारत में बलात्कार की मानसिकता - मुगलों की देन ?



किसी भी  समाज में  किसी  भी स्त्री का बलात्कार होना केवल उस स्त्री के साथ अन्याय नहीं वरन उस समाज के सभ्य होने पर भी सवालिया निशान खड़ा करता है ।  कुछ ही साल पहले  हुई दिल्ली में एक लड़की का अमानवीय  बलात्कार और फिर उसकी मौत देश में स्त्रियों की हालत बयाँ करते हैं , ऐसा नहीं ये पहली और आखरी घटना थी , देश में 
 लभग हर 20 मिनट मे एक महिला का बलात्कार होता है  ।

ये तो वो आकडे हैं जो पीड़ित द्वारा पुलिस में शिकायत की जाती है, सोचिये .. ये आकडे इससे कही  ज्यादा होंगे क्यों की आभी भी 80% स्त्रियाँ लोक -लाज , गरीब , असहाय  या अशिक्षित होने के कारण थाने तक पहुँच ही नहीं पाती  होंगी। क्या ऐसे में भारत को सभ्य कहा जा सकता है?
 
पर क्या कारण है की महान भारत जो की   स्त्री को  देवी कह कर पूजता था , जिसने  स्त्रियों को  " या देवी सर्वभूतेषु "  कह कर उसे पूजनीय बनाया , मनुस्मृति में भी उसे इतना सम्मान दिया की "  यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते रमन्ते तत्र देवता " तक कह दिया गया ।

वेदों, रामायण , महाभारत किसी में भी  किसी भी स्त्री का 'बलात्कार ' होने का जिक्र नहीं है , राम ने लंका पर विजय प्राप्त की पर न ही उन्होंने और न  किसी सेना ने पराजित लंका की स्त्रियों को हाथ लगाया । महाभारत में पांड्वो की जीत हुयी लाखो कौरव मारे गए , उनकी स्त्रियाँ विधवा हुयी पर किसी भी पांडव सैनिक ने किसी भी कौरव सेना की विधवा स्त्रियों को हाथ तक लगाया ।

फिर  अचानक क्या हुआ की इसी भारत में स्त्रियों की इतनी दयनीय स्थिति हो गयी, उनके बलात्कार होने लगे  ? इसके लिए हम को इतिहास में झांकना होगा ...

ये तो सभी जानते हैं की भारत पर समय -समय पर विदेशी आक्रमण होते रहे हैं कुछ प्रमुख आक्रमणकारियों के इतिहास को देखते हैं ... 


सिकंदर :- सिकंदर ने भारत पर लगभग 326-327 ई .पू आक्रमण किया  , पुरु और सिकंदर का  भयंकर युद्ध हुआ हजारो -लाखो सैनिक मारे गए । युद्ध सिकंदर द्वारा जीत लिया गया  , युद्ध जीतने  के बाद भी राजा पुरु की बहादुरी से प्रभावित होक जीता हुआ राज्य भी पुरु को देदिया और बेबिलोन वापस  चला गया । विजेता होने के बाद भी सिकंदर की सेनाओं ने किसी भी भारतीय महिला के साथ बलत्कार नहीं किया और न तो धर्म परिवर्तन करवाया ।

 कुषाण :-  (1शताब्दी से 2 शताब्दी )ये  आक्रमणकारी मूल रूप से चीन से आये हुए माने जाते थे,  शक्यो को परास्त करते हुए ये अफगानिस्तान के दर्रो को पार करते हुए ये भारत में पहुचे और भारत पर कब्ज़ा किया , इतिहास में कही भी शायद ऐसे नहीं लिखा की इन्होने पराजित सैनिको अथवा  स्त्रियों  का बलात्कार किया हो ।

हून :- (520 AD ) परसिया को जितने के बाद ये अफगानिस्तान से होते हुए भारत में आये और यहाँ पर राज किया , बलात्कार शायद इन्होने भी नहीं किया किसी भी स्त्री का क्यों की इतिहासकारों ने इसका कही जिक्र नहीं किया ।

और भी आक्रमणकारी थे जिन्होंने भारत में बहुत मार काट मचाई  जैसे शक्य  आदि पर बलात्कार शब्द तब तक शायद किसी को नहीं पता था।


अब आते हैं मध्यकालीन भारत में ...जहाँ से शुरू होता है इस्लामिक आक्रमण , और शुरू हुआ भारत में बलात्कार का  प्रचलन ।


 मुहम्मद बिन कासिम 
:- सबसे पहले मुस्लिम आक्रमण हुआ 711 ई . में मुहामद बिन कासिम द्वारा सिंध पर , राजा दाहिर को हराने के बाद उसकी   दोनों  बेटियों का बलात्कार करके उन्हें  दसियों के रूप में  खलीफा को तौफ़ा भेज दिया ।  तब शायद ये भारत की स्त्रीओं का  पहली बार  बलात्कार जैसे   कुकर्म से  सामना हुआ  जिसमें हारे हुए राजा की बेटियों और साधारण स्त्रियों का जीती हुयी सेना द्वारा बुरी तरह से बलात्कार  हुआ ।
(पाठक मित्र और अधिक जानकारी के लिए इतिहासकार प्रो . S.G.Shevde की पुस्तक 'भारतीय संस्कृति " पेज 35-36 देखे )


मुहम्मद  गजनी :- गजनी ने पहला भारत पर आक्रमण 1001 ई में किया , इसके बारे में ये कहा जाता है की इसने इस्लाम को फ़ैलाने के  ही आक्रमण किया था , सोमनाथ के मंदिर को तोड़ने के बाद उसके साथ  हजारो हिन्दू स्त्रियों को अफगानिस्तान ले गया और  उन्हके साथ बलात्कार करके   दासो के बाजारों  में उन्हें बेच दिया गया ।

मुहम्मद गौरी :- गौरी ने 1175 में सबसे पहले मुल्तान पर आक्रमण किया , मुल्तान में इस्लाम फ़ैलाने के बाद उसने भारत की तरफ रुख किया । पृथ्वी राज को दुसरे युद्ध(1192) में हराने के बाद उसने पृथ्वी राज को इस्लाम कबूल करने के लिए कहा पर जब पृथ्वी राज ने इंकार  तो उसने न की पृथ्वी राज को अमानवीय यातनाये दी बल्कि  उन लाखो हिन्दू  पुरुषो को मौत के घाट उतर दिया और अनगिनत हिन्दू स्त्रियों के साथ उसकी सेना ने बलात्कार की जिन्होंने इस्लाम कबूल करने से मना  कर दिया था ।

इतिहासकार  श्री आशीर्वादी लाल श्रीवास्तव की पुस्तक " दिल्ली सल्तनत -711 से 1526 तक के पेज न .  85  पर आप देख सकते हैं की किस प्रकार गौरी ने इस्लाम न कबूल करने वाले हिन्दुओं और  स्त्रियों पर क्या क्या अत्याचार  ।
 
ये  सूचि बहुत लम्बी है , पर मेरे कहने का बस इतना तात्पर्य है की मध्यकालीन में मुगलों द्वारा पराजित हिन्दू राजाओं की  स्त्रियों का और साधारण हिन्दु स्त्रियों का बलात्कार करना एक आम बात थी , क्यों की वो इसे अपनी जीत  या  जिहाद का इनाम थे। 

धीरे -धीरे ये बलात्कार करने की रुग्ण मानसिकता भारत के पुरुषो में भी फैलने लगी , और आज इसका ये भयानक रूप देखने को मिल रहा है ... तो इस प्रकार भारत में 'बलात्कार " करने की मानसिक रोग उत्त्पन्न हुआ ।

ठीक उसी प्रकार जैसे सर पर  मैला उठाने की प्रथा वैदिक काल में नहीं थी और न ही उसके बाद तक जब तक की मुगलों का आगमन भारत में नहीं हुआ था ।
. . 
. . 
. . 
. . 

सबसे जरूरी बात , अब कुछ पाठ्य गण ये कहेंगे की वैदिक धर्म या हिन्दू धर्म दोनों की ग्रंथो में भी बलात्कार के प्रमाण मिलते है , मैं उनसे यही कहूँगा की , पुराणो में सारे कहानियाँ एक मिथ्या है , और इसका सच्चाई से कोई लेना देना नहीं है । और अगर कोई वेदो में खोजता है , तो वो ठीक से पढ़े , वह पे विज्ञान मिलेगा , न की बलात्कार ? … वेदो में इतिहास नहीं , वेद पर कोई भी आछेप हो , या कोई भी error हो , कोई भी प्रमाण हो , जिससे ये वर्ड ऑफ़ गॉड सिद्ध न हो सके , ऐसे कुछ भी आपको मिले , तो हमें commnt बॉक्स पे पूछे , हम आपको सही से उस चीज़ को समझायेंगे । 

क्योकि मैं खुद पिछले १ साल से वेदो में गलतियाँ या कुछ भी ऐसी बाते जिससे वेद को वर्ड ऑफ़ गॉड न कह सकू , खोज रहा हूँ , पर मुझे अभी एक एक भी प्रमाण नहीं मिला । वेद १०० % word of GOD  ही proof हो रहा है । 

अब आते है पुराणो पर ,  पुराणो सब को misqyote करने का श्रेय "मैक्समूलर और मैकाल" को जाता है , अगर विस्वास नहीं तो , जब भारत पर ब्रिटिश का शाशन हुआ तब एक कमीशन बिठायी गयी थी , नाम था विलियम हंटर कमीशन । इसका हेड विलियम हंटर खुद था , इसके अंदर हज़ारो ब्रिटिश थे , जिन्हे भारत का इतिहास और scripture को change करने का कार्य सौपा गया था । 


चुकी सारे scripture संस्कृत में थे , इसीलिए जर्मन से संस्कृत के विद्वान "मैक्समूलर" को भारत बुलाया गया था । 

पुराणो में अधिकतर स्टोरी , वेदो को न समझ पाने के कारण पनप गया , जैसे वेदो में इंद्र -सूर्य के लिए आया है , अहिल्या -रात्रि के लिए आया है , अप्सरा - सूर्य(इंद्र) की किरणों को कहा गया है , गौतम (गतिशील चन्द्रमा को कहा गया है) …… 

वेद हमसे बेहतर हज़ारो साल पहले हमारे ऋषि अच्छे से समझते थे , इसीलिए उन्होंने इसकी जटिलता को हटाने के लिए वेदांग की रचना किये (इसमें छः तरह के ग्रन्थ आते है , जिसे वैदिक संस्कृत कहते है)
बिना इसके अध्ययन के वेद का व् भी किसी को समझ नहीं आ सकता ।
वेदो में अलंकार का प्रयोग है , इसीलिए मंद बुद्धि वाले के मस्तिक से वेद बाहर चला जाता है । 


इन सारे गलत फेमियो पर next blog आएगी , प्रमाणों के साथ , वेद और वेदांग दोनों से प्रमाण आएगी ।
इंतज़ार करे next ब्लॉग की । 



ADMIN - मनीष कुमार (आर्य )

No comments:

Post a Comment