Tuesday 5 January 2016

Mohammad "RE-Birth Of TripuraSura DEMON in Bh. Puran




Prophet Muhammad  in Hindu scripture      by Dr. Zakir Naik ?


http://www.irf.net/Hinduism_Muhammad.html

CLAIM:- 
According to Bhavishya Purana, Parv - III Khand 1 Adhay 3 Shloka 21-23:

"Corruption and persecution are found in seven sacred cities of Kashi, etc. India is inhabited by Rakshas, Shabor, Bhil and other foolish people. In the land of Malechhas, the followers of the Malechha dharma (Islam) are wise and brave people. All good qualities are found in Musalmaans and all sorts of vices have accumulated in the land of the Aryas. Islam will rule in India and its islands. Having known these facts, O Muni, glorify the name of thy lord".

The Qur’an confirms this in Surah Taubah chapter 9 verse 33 and in Surah Al Saff chapter 61 verse 9:

"It is He who hath sent His Messenger with Guidance and the Religion of Truth, to proclaim it over all religion, even though the Pagans may detest (it)".

ANALYSIS:-

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Profet Mohammad "RE_Birth Of TripuraSura DEMON" in English (just click)

FOR HINDI read this blog ,

मित्रो दुनियाँ में एक मज़ाक चला है , किसी को कुछ भी बोलना हो , चुप चाप लिख दो और बगल में कोई भी
SCRIPTURE का कोई भी REFERENCE लिख दो ।

ज़ाकिर नालायक यहाँ पे जो भी लिखा है , अगर असली में ऐसा लिखा हुआ होता , तो वो सीधा FULL SCREENSHOT क्यों नहीं दिया , या संस्कृत TEXT ही देके EXPLAIN कर देता । ये मुर्ख संस्कृत पढ़
भी नहीं पाता लेकिन "अरबी लूटेरा सब को हिन्दू ग्रंथो में खोज लेता है "

हिन्दू ग्रन्थ में भविष्यपुराण में सभी का वर्णन है , इसमें गुरुनानक देव , ईशा मसीहा , छत्रपति शिवजी बहुत से योद्धा का वर्णन है , जब जीसस (ईशा मसीहा) का भी वर्णन है , तब तो कोई भी ईसाई , इतना अचंभित नहीं हुआ,
फिर मोहम्मद का नाम आने पर मुसलमान क्यों अचंभित हो रहा है ??

आईये ईशा मसीहा छोड़िये , हम देखते है - "मोहम्मद" के बारे में क्या लिखा हुआ है ...
पहले ज़ाकिर नाइक के दिए REFERENCE और उसका MEANING से शुरू करते है :)


According to Bhavishya Purana, Parv - III Khand 1 Adhay 3 Shloka 21-23:

दिए गए फोटो से आप श्लोक मिला सकते है :) download कर ले । या ऊपर के इंग्लिश ब्लॉग में जाके zoom करके देख ले । 


21. भस्म भूत्वा स मायावी म्लेच्छदेवत्वमागतः,
भयभीतस्तु तच्छिष्या देशं वाहीकमाययुः।

२१. वह मायावी भस्म होकर मलेच्छ देवत्व अर्थात
मृत्यु को प्राप्त हुआ। भयभीत होकर उसके शिष्य
वाहीक देश में आ गए।

.....
22. गृहीत्वा स्वगुरोर्भस्म मदहीनत्वमागतम्,
स्थापितं तैश्च भूमध्ये तत्रोषुर्मदतत्पराः।

२२. उन्होंने अपने गुरु(महामद) की भस्म को ग्रहण कर
लिया और और वे मदहीन को गए। भूमध्य में उस भस्म
को स्थापित कर दिया। और वे वहां पर ही बस गए।

.....
23. मदहीनं पुरं जातं तेषां तीर्थं समं स्मृतम्,
रात्रौ स देवरूपश्च बहुमायाविशारदः।
२३. वह मदहीन पुर हो गया और उनके तीर्थ के सामान
माना जाने लगा। उस बहुमाया के विद्वान(महामद) ने
रात्रि में देवरूप धारण किया।

मित्रो अभी आपको शायद समझ न आया हो , मैंने सिर्फ ये बताया की ज़ाकिर नाइक ने अपने मन से एक कहानी
इंग्लिश में लिख दिया , और भविष्यपुराण का कोई भी REFERENCE दे दिया चूँकि ये पूरी अध्याय मोहम्मद पर ही है।

भविष्यपुराण में प्रोफेट मोहम्मद को एक "पिशाच" का दर्जा दिया गया है , इसीलिए ज़ाकिर नाईक बोखला गया है ,
और कुछ भी कहानी बना के प्रोफेट मोहम्मद को NON ARYAN ऋषि बनाने का कोशिश कर रहा है :) 


अब क्लियर करता हूँ ;)

ज़ाकिर नाइक ने श्लोक 21 से 23 में अनाब-सनाब मीनिंग किया , लेकिन अब देखिये प्रोफेट मोहम्मद को कालिदास ने
श्लोक 20 में ही भष्म कर दिया है :D
18. म्लेच्छधर्मे मतिश्चासीत्तस्य भूपस्य दारुणे,
तच्छृत्वा कालिदासस्तु रुषा प्राह महामदम्।
१८. राजा की दारुण(अहिंसा) मलेच्छ धर्म में
रूचि में वृद्धि हुई। यह राजा के श्रवण करते देख,
कालिदास ने क्रोध में भरकर महामद से कहा।

.....
19. माया ते निर्मिता धूर्त नृपम्हन हेतवे
हनिष्यामि दुराचारं वाहीकं पुरुषाधमम्।
१९. हे धूर्त ! तूने नृप(राजधर्म) से मोह न करने हेतु
माया रची है। दुष्ट आचार वाले पुरुषों में अधम
वाहीक को मैं तेरा नाश कर दूंगा।

.....
20. इत्युक्त्वा स द्विजः श्रीमान् नवार्ण जप
तत्परः जप्त्वा दशसहस्रं च तद्दशांशं जुहाव सः।
२०. यह कह श्रीमान ब्राह्मण(कालिदास) ने नर्वाण
मंत्र में तत्परता की। नर्वाण मंत्र का दश सहस्त्र
जाप किया और उसके दशाश जप किया।

आगे तो ऊपर देख ही रहे है , की प्रोफेट मोहम्मद भष्म हो चूका है (श्लोक 21-23)

अब आगे के श्लोक देखिये ;)
प्रोफेट मोहम्मद " मरने के बाद एक पिशाच का देह धारण कर लिया "

 
24. पैशाचं देहमास्थाय भोजराजं हि सोऽब्रवीत्
आर्य्यधर्म्मो हि ते राजन् सर्ब धर्मोतमः स्मृतः ।
२४. आत्मा रूप में पैशाच देह को धारण कर भोजराज के पास 
आकर  कहा। हे राजन(भोजराज) !मेरा यह आर्य समस्त धर्मों में अतिउत्तम है।

......
25. ईशाज्ञया करिष्यामि पैशाचं धर्मदारुणम्
लिंगच्छेदी शिखाहीनः श्मश्रुधारी स दूषकः।
२५. अपने ईश की आज्ञा से पैशाच दारुण धर्म मैं
करूँगा। मेरे लोग लिंगछेदी(खतना किये हुए),
शिखा(चोटी) रहित, दाढ़ी रखने वाले दूषक होंगे।

......

26. उच्चालापी सर्वभक्षी भविष्यति जनो मम
विना कौलं च पशवस्तेषां भक्ष्या मता मम।
२६. ऊंचे स्वर में अलापने वाले और सर्वभक्षी होंगे।
हलाल(ईश्वर का नाम लेकर) किये बिना सभी पशु उनके खाने योग्य न होगा।

.....
27. मुसलेनैव संस्कारः कुशैरिव भविष्यति तस्मात्
मुसलवन्तो हि आतयो धर्मदूषकाः।
२७. मूसल से उनका संस्कार किया जायेगा। और
मूसलवान हो इन धर्म दूषकों की कई जातियां होंगी।

.....
28. इति पैशाच धर्म श्च भविष्यति मयाकृतः
इत्युक्त्वा प्रययौ देवः स राजा गेहमाययौ।

२८. इस प्रकार भविष्य में मेरे(मायावी महामद)
द्वारा किया हुआ यह पैशाच धर्म होगा। यह कहकर
वह (महामद) चला गया और राजा अपने स्थान पर वापस आ गया।


:) तो दोस्तों अब देखिये ज़ाकिर का प्रोफेट मोहम्मद को "Re-Birth Of Tripura-Sura DEMON"
कहा गया है , and a/q to this chapter, भगवान शिवा (which is mention in puranas) ने TripuraSura DEMON को
पिछले जन्म में भष्म कर दिया था , और वो दोबारा जन्म लिया , मोहम्मद के रूप में एक "पैशाच धर्म" को फ़ैलाने
के लिए । 


6. महामद इति ख्यातः शिष्यशाखा समन्वितः नृपश्चैव महादेवं मरुस्थलनिवासिनम्।


६ महामद शिष्यों की अपने शाखाओं में बहुत प्रसिद्द
था। नृप(राजा) ने मरुस्थल में निवास करने वाले
महादेव को नमन किया।
.....
7. गंगाजलैश्च सस्नाप्य पञ्चगव्य समन्वितैः।
चन्दनादिभिरभ्यर्च्य तुष्टाव मनसा हरम् ।

७. पञ्चजगव्य से युक्त गंगा के जल से स्नान कराके
तथा चन्दन आदि से अभ्याचना(भक्तिपूर्वकभाव से
याचना) करके हर(महादेव) को स्तुति किया।
.....
भोजराज उवाच-
8. नमस्ते गिरिजानाथ मरुस्थलनिवासिने।
त्रिपुरासुरनाशाय बहुमायाप्रवर्त्तिने।

८. भोजराज ने कहा - हे गिरिजा नाथ ! मरुस्थल में
निवास करने वाले, बहुत सी माया में प्रवत होने
त्रिपुरासुर नाशक वाले हैं।
.....
9. म्लेच्छैर्गुप्ताय शुद्धाय सच्चिदानन्दरूपिणे।
त्वं मां हि किंकरं विद्धि शरणार्थमुपागतम् ।

.९ मलेच्छों से गुप्त, शुद्ध और सच्चिदानन्द रूपी,
मैं आपकी विधिपूर्वक शरण में आकर
प्रार्थना करता हूँ।
....
सूत उवाच-
10. इति श्रुत्वा स्तवं देवः शब्दमाह नृपाय तम्।
गन्तव्यं भोजराजेन महाकालेश्वरस्थले ।

१०. सूत जी ने कहा - महादेव ने प्रकार स्तुति सुन
राजा से ये शब्द कहे "हे भोजराज आपको महाकालेश्वर
तीर्थ जाना चाहिए।"
.....
11. म्लेच्छैस्सुदूषिता भूमिर्वाहीका नाम
विश्रुता। आर्य्यधर्मो हि नैवात्र वाहीके
देशदारुणे ।

११. यह वाह्हीक भूमि मलेच्छों द्वारा दूषित
हो चुकी है। इस दारुण(हिंसक) प्रदेश में आर्य
(श्रेष्ठ)-धर्म नहीं है।
.....
12. बभूवात्र महामायी योऽसौ दग्धो मया पुरा।
त्रिपुरो बलिदैत्येन प्रेषितः पुनरागतः ।

१२. जिस महामायावी राक्षस को मैंने पहले
माया नगरी में भेज दिया था(अर्थात नष्ट किया था) वह
त्रिपुर दैत्य कलि के आदेश पर फिर से यहाँ आ गया है।
.... 
13. अयोनिः स वरो मत्तः प्राप्तवान् दैत्यवर्द्धनः।
महामद इति ख्यातः पैशाच कृति तत्परः ।

१३. वह मुझसे वरदान प्राप्त अयोनिज(pestle, मूसल,
मूलहीन) हैं। एवं दैत्य समाज की वृद्धि कर रहा है।
महामद के नाम से प्रसिद्द और पैशाचिक कार्यों के
लिए तत्पर है।
.....
14. नागन्तव्यं त्वया भूप पैशाचे देशधूर्तके। मत्
प्रसादेन भूपाल तव शुद्धिः प्रजायते ।

१४. हे भूप(भोजराज) ! आपको मानवता रहित धूर्त देश में नहीं जाना चाहिए।
 मेरी प्रसाद(कृपा) से तुम 
विशुद्ध राजा हो।
.....

मित्रो तो अब क्लियर हो गया होगा की भविष्यपुराण में मोहम्मद को दर्जा एक ऋषि का मिला है या फिर एक पैशाच
धर्म फ़ैलाने वाला पिशाच का ?? (mohammad "rebirth of tripura-sura DEMON)
.....
अब देखिये "मलेचा" क्यों कहा गया है , प्रोफेट मोहम्मद को ।
मलेचा मतलब यहाँ है " की जो गाय को मार के खाता है , धर्मदूषक"

प्रमाण के लिए संस्कृत शब्दकोष दे रहा हूँ
download कर ले । या ऊपर के इंग्लिश ब्लॉग में जाके zoom करके देख ले । 



ADMIN- MANISH KUMAR (ARYA)

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