Monday 28 December 2015

नियोग विषय को लेकर भ्रम .....


हमारे कुछ मित्र नियोग विषय को लेकर भ्रम में हैं और भ्रम फैला रहे हैं। अपने अज्ञान कारण वे स्वामी दयानंद एवं सत्यार्थ प्रकाश के विषय में व्यर्थ निंदा एवं अपने कीमती समय को वितंडा में नष्ट कर रहे हैं।
स्वामी दयानंद ने नियोग से पहले या तो आजीवन कुंवारा रहने अथवा पुनर्विवाह का विधान भी दिया हैं।
नियोग एक आपत कालीन धर्म हैं जो विशेष परिस्थिति के लिए बना हैं।
आज जो वीर्य बैंक (SPERM BANK) स्थापित हैं नियोग के ही विधान को आधुनिक रूप में ही प्रस्तुत कर रहे हैं।
जैसे वीर्य बैंक केवल निस्संतान दम्पति के लिए होते हैं उसी प्रकार नियोग भी ऐसी ही परिस्थिति के लिये हैं।
संतति न होना अथवा होकर मर जाना विशेष रूप से किसी धर्म विशेष के साथ नहीं हैं।
ऐसा किसी भी हिन्दू, मुस्लिम अथवा ईसाई के साथ हो सकता हैं।
इसीलिए वेद से लेकर पुराण तक, बाइबिल से लेकर कुरान तक सभी में नियोग का विशेष परिस्थितियों में विधान हैं।
इन प्रमाणों को पढ़ने के बाद किसी भी हिन्दू, मुस्लिम अथवा ईसाई के में नियोग को लेकर किसी भी प्रकार की भ्रान्ति नहीं
होनी चाहिये।
महाभारत/पुराण/स्मृति में नियोग के प्रमाण
व्यासजी का काशिराज की पुत्री अम्बालिका से नियोग- महाभारत आदि पर्व अ 106/6
धृतराष्ट्र व्यास के वीर्य से उत्पन्न हुआ- देवी भगवत स्कन्द 2/6/2
वन में बारिचर ने युधिस्टर से कहा- में तेरा धर्म नामक पिता- उत्पन्न करने वाला जनक हूँ- महाभारत वन पर्व 314/6
उस राजा बलि ने पुन: ऋषि को प्रसन्न किया और अपनी भार्या सुदेष्णा को उसके पास फिर भेजा- महाभारत आदि पर्व अ 104
कोई गुणवान ब्राह्मण धन देकर बुलाया जाये जो विचित्र वीर्य की स्त्रियों में संतान उत्पन्न करे- महाभारत आदि पर्व 104/2
उत्तम देवर से आपातकाल में पुरुष पुत्र की इच्छा करते हैं- महाभारत आदि पर्व 120/26
परशुराम द्वारा लोक के क्षत्रिय रहित होने पर वेदज्ञ ब्राह्मणों ने क्षत्रानियों में संतान उत्पन्न की- महाभारत आदि पर्व 103/10
पांडु कुंती से- हे कल्याणी अब तू किसी बड़े ब्राह्मण से संतान उत्पन्न करने का प्रयत्न कर- महाभारत आदि पर्व 120/28
सूर्ष ने कुंती से कहा- तू मुझसे भय छोड़कर प्रसंग कर- महाभारत आदि पर्व 111/13
किसी कुलीन ब्राह्मण को बुलाकर पत्नी का नियोग करा दो, इनमे कोई दोष नहीं हैं- देवी भगवत 1/20/6/41
व्यास जी के तेज से में भस्म हो जाऊगी इसलिए शरीर से चन्दन लपेटकर भोग कराया- देवी भगवत 1/20/65/41
काम कला जानने वाले व्यास जी को दासी ने संतुष्ट किया- देवी भागवत 2/6/4
भीष्म जी ने व्यास से कहा माता का वचन मानकर , हे व्यास सुख पूर्वक परे स्त्री से संतान उत्पत्ति के लिए विहार कर- देवी भागवत 6/24/46
सूर्य ने कुंती से कहा-भय मत करो संग करो- महाभारत अ। पर्व 111/13
वह तू केसरी का पुत्र क्षेत्रज नियोग से उत्पन्न बड़ा पराकर्मी – वाल्मीकि रामायण किष कांड 66/28
मरुत ने अंजना से नियोग कर हनुमान को उत्पन्न किया – वाल्मीकि रामायण किष कांड 66/15
राम द्वारा बाली के मारे जाने पर उसकी पत्नी तारा ने सुग्रीव से संग किया – गरुड़ पुराण उतर खंड 2/52
बिना संतान वाले की स्त्री बीज लेले- गौतम स्मृति 29
जिसका पति मर गया हैं-वह 6 महीने बाद पिता व भाई नियोग करा दे- वशिष्ट स्मृति 17/486
किन्ही का मत हैं की देवर को छोड़कर अन्य से नियोग न करे- गौतम स्मृति 18
जिसका पति विदेश गया हो तो वह नियोग कर ले- नारद स्मृति श्लोक 98/99/100
देवर विधवा से नियोग करे- मनु स्मृति 9/62
आपातकाल में नियोग भी गौण हैं- मनु 9/58
नियोग संतान के लोभ के लिए ही किया जाना चाहिए- ब्राह्मण सर्वस्व पृष्ट 233
यदि राजा वृद्ध हो गया या बीमार रहता हो तो अपने मातृकुल तथा किसी अन्य गुणवान सामंत से अपनी भार्या में नियोग द्वारा पुत्र उत्पन्न करा ले- कौटिलीय शास्त्र 1/17/52
पति के मरने पर देवर को दे- देवर के आभाव में इच्छा अनुसार देवे – अग्नि पुराण अध्याय 154
राजा विशाप ने स्त्री का सुख प्रजा के लिए त्याग दिया। वशिष्ट ने नियोग से मद्यंती में संतान उत्पन्न की- विष्णु पुराण 4/4/69
बाइबिल में नियोग
तब यहूदा ने ओनान से कहा- अपनी भाई की बीवी के पास जा और उसके साथ द्वार का धर्म करके अपने भाई के लिए संतान जन्मा- उत्पत्ति पर्व 38/8
जब कई भाई संग रहते हो और उनमें से एक निपुत्र मर जाये तो उसकी स्त्री का ब्याह पर गोत्री से न किया जाये-उसके पति का भाई उसके पास जाकर उसे अपनी स्त्री कर ले – व्यवस्था विवरण 25/5-10
यदि देवर नियोग से इंकार करे तो भावज उसके मुह पर थूके और जूते उसके पाव से उतारे- व्यवस्था 25/2
इस्लाम में नियोग
सूरत कलम रुकुअ 1
वलीद घबराया और तलवार खीचकर अपनी माँ से कहा- सच बता की मैं किसका बीटा हूँ? माँ ने कहाँ-तेरा बाप नामर्द था, और तेरे चचेरे भाई की आंखे हमारी जायदाद पर लगी हुई थी, मैंने अपने गुलाम से बदफैली (नियोग ) कराई और तू पैदा हुआ- तफसीर मूज सु 59 और गजिन मतीन सूरत 45

ADMIN- MANISH KUMAR (ARYA)

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