Thursday, 14 July 2016

पहला इंसान मुसलमान कैसे,हैवानियत धर्म कैसे?



ॐ शांति "एकम सदविप्र: बहुधा वदन्ति" ॐ शांति 

इतिहास में ये अंकित है की मोहम्मद के 40 वर्ष के होने से पहले इस्लाम और अल्लाह का कोई नाम भी नी सुना था । मोहम्मद खुद एक काफिर की जिंदगी जी रहा था , उसकी पहली शादी यहूदी कन्या से हुई , वो भी यहूदी रीती-रिवाज के साथ , मोहम्मद के चाचा "UMAR-BIN-E-HASSAM" एक बहुत  बड़े शिवभक्त रहे थे , और उनकी मृत्यु भी शिवलिंग की रक्षा में ही गई थी , मोहम्मद ने खुद  चाचा का क़त्ल किया था । 

अब सवाल ये है की अगर इस्लाम एक शांति का महजब है (हम यहाँ महजब इसलिए कह रहे है क्योंकि धर्म एक ही होता है , इंसानो द्वारा तो महजब बनते है) तो फिर इस शांति प्रिय महजब को फ़ैलाने में अशांति क्यों हुई ? क्यों कत्लेआम से ही इस्लाम फैला ? क्यों छोटी सी बात पर मोहम्मद ने अपने चाचा को ही मार डाला ? क्या पैगम्बर ऐसा होता है ? क्या अल्लाह ने उसे अपना ही घर संसार को नष्ट करने का हुक्म दिया था ? 

अगर अल्लाह ने मोहम्मद को ऐसा करने कहा ? तो क्या अल्लाह "ईशवर" हो सकता है ? क्या ये शैतानो वाली हरकते ईशवर करवा सकता ? आज विश्व में अशांति किस महजब ने फैलाई है ?

एक किताब "क़ुरान" में किसी बात का लिखवा देना फिर सबलोग मोहम्मद की कोई भी बात को बिना सोचे समझे मान लेना , किसी  लालच-वश। ... ये सभी आधारहीन बातें 7वी सदी के लिए ठीक थी , क्योंकि उस समय विज्ञान उतना नहीं आगे आया था , लोगो की चिंतन शक्ति उतनी नहीं थी ।

पर वही सब बेवकूफियां इस विज्ञान के युग में अगर की जाए , वो भी 21वी शताब्दी में ? तो क्या आज भी मनुष्य उतना  ही बेवकूफ है ? जितना की 7वी शताब्दी में अरब देश में था ?
नहीं है । 
  •  मनुष्य कौन है ?
शास्त्रों में कहाँ गया है की "जो मनन -चिंतन कर सके" वो मनुष्य है ।

तो हमें सच्चे धर्म की तलाश करनी हो तो हम भी पहले  मनन-चिंतन ही करेंगे , जाचेंगे परखेंगे की किसकी बातों में कितनी सच्चाई है । ऐसे ही एक किताब में कुछ भी लिखवा देने से उसको सच नहीं मानेंगे , जबतक की वो सत्य की कसौटी पर खड़ा न उतरे ।

आइए मोहम्मद साहब की जीवनी और क़ुरान की इतिहास पर प्रकाश डाले , लोगो को जागरूप करे और सत्य को अपनाए ।

 सभी धर्म बराबर कैसे हो सकते ? क्या चोर -पुलिस इसलिए बराबर कहे जा सकते की दोनों ही इंसान है ? क्या आरोपी-न्यायधीश बराबर हो सकते है ? नहीं ना ? फिर ये बात किसने फैलाई की सभी धर्म बराबर होते है और हमें सबका सम्मान करना चाहिए ? अगर ऐसी बात है तो हमें चोर को उसके चोरी करने पर सम्मान देना चाहिए और अपराधी को उसके घिनौने अपराध के लिए सम्मान देना  चाहिए ?

सबसे पहले ये जाने की ईश्वर एक ही है (वेदों के अनुसार) और उनका दिया धर्म भी एक ही है । ईश्वर इस तरह की बेतुकी बाते  करेगा की "मैं मालिक हूँ,तुमलोग मेरे नौकर हो ? तुम लोग ढाढ़ी रखो , मूंछ मत रखो ? हमको सूअर से नफरत है ? तुमलोग टोपी पहनो ? और अगर मेरी जिद्द को नहीं मानोगे तो तुमसब को जहन्नुम की आग में दाल दूंगा ? ETC ETC .......

चलिए इस्लामिक CONCEPT पे आते है । 


१. इस्लाम- "पहला इंसान मुसलमान ही था, हजरत आदम मुस्लिम थे । 

आर्य सन्देश- आपने यह बात किस तर्क पे कहे ? क्या विज्ञान ने किसी खोज में इस बात को सिद्ध किया है ? क्या विज्ञान ने ये कहा की सबसे पहले एक ही इंसान आया जो की ३० फुट का था और उसी इंसान की पसली से एक औरत आई "हव्वा" ?

इस क़ुरान की बातों में आपको कितनी सच्चाई लग रही ? यह बेतुकी बातें दुनिया भर के मुसलमान इसीलिए मानते है क्योंकि ये बाते मोहम्मद साहब ने क़ुरान में लिखवाई ? यही मुस्लमान का तर्क है। अरे भाई मेरे , मोहम्मद साहब झूठ भी तो बोल सकते थे ? मोहम्मद साहब तो खुद एक काफिर थे , ४० वर्ष के होने के बाद वो मुसलमान बने , फिर उन्होंने मन-गनन कहानियाँ रची , उन्होंने कोई सबूत नई दिया की वो जो भी कह रहे है , वो सच कैसे है ?

उन्होंने सिर्फ इतना बोले की मैं पढ़ा -लिखा नहीं हूँ ? मैं गवाँर हूँ ? मुझे क़ुरान की आयते अल्लाह बुलवा रहा ? और कुछ मूर्खो ने विस्वास भी कर लिया , की अल्लाह ऐसा कोई प्राणी सातवें आसमान में बैठता भी है ?

चलिए अब हम इसी तर्क को मान कर , इसका खंडन करते है :)


  • क्या मोहम्मद साहब अनपढ़ थे ?


अनपढ़ रसूल को लिखना पड़ा !

इस्लाम असल में अरबी साम्राज्यवादी नीतियों का नाम है . जिसे मुहम्मद साहब ने प्रारंभ किया था .वह किसी न किसी तरह से सम्पूर्ण विश्व पर हुकूमत करना चाहते थे .लेकिन दूसरे क्षेत्रों को जीतने के लिए सेना की जरुरत होती है . जो उनके पास नहीं थी . इसलिए मुहम्मद ने ढोंग और पाखंड का सहारा लिया ..जैसे पहले तो खुद को अल्लाह का रसूल साबित करने के लिए यह अफवाह फैला दी कि मैं तो अनपढ़ हूँ . और जो भी मैं कुरान के माध्यम से कहता हूँ वह अल्लाह के वचन हैं ..जैसे पहले तो खुद को अल्लाह का रसूल साबित करने के लिए यह अफवाह फैला दी कि मैं तो अनपढ़ हूँ . और जो भी मैं कुरान के माध्यम से कहता हूँ वह अल्लाह के वचन हैं
अनपढ़ रसूल

1-अल्लाह ने अनपढ़ ही बनाया
कुरान-”और उसी अल्लाह ने अनपढ़ लोगों के बीच में एक अनपढ़ रसूल को उठाया जो हमारी आयतें सुनाता है “सूरा – जुमुआ 62 :2 
“जो लोग उस अनपढ़ रसूल के पीछे चलते हैं , जो न लिख सकता है और न पढ़ सकता है , तो पायेंगे कि उसकी बातें तौरैत और इंजील से प्रमाणित होती हैं “सूरा -अल आराफ 7 :157 
“हे रसूल न तुम कोई किताब लिख सकते हो और न पढ़ सकते हो . यदि ऐसा होता तो लोग तुम पर शक करते “सूरा -अनकबूत 29 :49 

क़ुरान के अनुसार मुहम्मद साहब जीवन भर अनपढ़ ही बने रहे ,जैसा कि इन आयतों में दिया गया है ,
लेकिन मुसलमान रसूल के अनपढ़ होने को उनमे कमी मानने की जगह उनका चमत्कार बताते हैं .नहीं तो उन पर यह आरोप लग जाता की कुरान उन्ही ने लिखी होगी । 

अब देखे प्रमाणिक हदीसो से सबूत 

“अल बरा ने कहा जब रसूल उमरा के लिए मक्का जा रहे थे , रास्ते में उनको कुरैश के लोगों ने घेर लिया . और कहा पहले जब तक तुम हमारी नहीं मानोगे , तुम्हें मक्का में नहीं घुसने देंगे ‘और जब रसूल सभी शर्तें मान कर आखिरी में ” रसूल अल्लाह ” लिखने लगे तो कुरैश ने घोर आपत्ति जताई .तब रसूल ने कागज हाथ में लिया और खुद लिख दिया “हाजा मा मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह कद वाकिफत अलैहि هذا ما محمد بن عبد الله قد وافقت عليه”यानी यही बातें हैं , जिन पर मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह सहमत है .(This is what Muhammad bin Abdullah has agreed upon )

Sahih Bukhari-Volume 3, Book 49, Number 863

पहले ये परख ले की जो इंसान बेतुकी बाते कर रहा है , उस इंसान में कितनी सच्चाई है ?
आगे और भी इस्लामिक तथ्यों का का खंडन किया जाएगा ।

कोई अल्लाह , कोई रसूल सब नी होता ।
ये सब एक मन-गनन कहानियाँ है । इसे कहानियों की तरह ही ले । 

ADMIN- MANISH ARYA

Wednesday, 13 January 2016

सृष्टि रचना काल



इस सृष्टि के बने कितने वर्ष बीत गए ?








Vedas and Motion of Planets





“The sun has tied Earth and other planets through attraction and moves them around itself as if a trainer moves newly trained horses around itself holding their reins.”
The first one is Rigveda 10.149.1

This is one of the several Mantras in Vedas that assert that planets move around sun.
It says:

In this mantra,
Savita = Sun
Yantraih = through reins
Prithiveem = Earth
Aramnaat = Ties
Dyaam Andahat = Other planets in sky as well
Atoorte = Unbreakable
Baddham = Holds
Ashwam Iv Adhukshat = Like horses
Very clearly, the mantra explains that sun is center of solar system and planets (including earth) move in a closed-loop path around it.
The second one Rigveda 8.12.28 details this motion of planet
“All planets remain stable because as they come closer to sun due to attraction, their speed of coming closer increases proportionately.”
In this Mantra,
Yada Te = When they
Haryataa = Come closer through attraction
Hari = Closeness
Vaavridhate = Increases proportionately
Divedive = continuously
Vishwa Bhuvani = planets of the world
Aditte = eventually
Yemire = remain stable
(The reference to sun comes from rest of the Mantras in this Sukta before and after this mantra)
The mantra clearly states that:
1. Motion of planets around the sun is not circular, even though sun is the central force causing planets to move (Refer previous mantra 10.149.1)
2. The motion of planets is such that Velocity of planets is in inverse relation with the distance between planet and sun.
It can be easily shown with the help of Newton’s Second Law that, for a planet revolving around sun in an elliptical orbit, having distance ‘r’ with sun and angle ‘θ’ made between length ‘r’ and any fixed axis, at any instant, following holds true
From the above, it can be easily shown that derivative of the product of square of distance between sun and planet and rate of change of angle θ, with respect to time, is zero. And thus following relation is obtained (with h as a constant)
Interestingly, the above relation is nothing but the conservation of angular momentum, observed in cases involving Central Forces! If you replace angular velocity with linear velocity, it leads exactly to the same principle that the Vedic mantra Rigved 8.12.28 asserts – that velocity of planets is inversely related to distance from sun!
What laws of mechanics and motion can be derived from these principles is something that each of you studying science can explore and be excited about!
But what is wonderful is that the principles are in perfect sync with Kepler’s laws of planetary motion and Newton’s law of gravitation. In fact, if these Vedic principles were known, deriving Kepler and Newton’s laws and hence law of conservation of angular momentum becomes the next easy logical step for an analytical mind!
This is the beauty of Vedas. Vedas and Science are never in contradiction. In fact the foundation of Vedic religion lies in the principle that “True Science and True Religion can never contradict.
Please note that we no way imply that mere analysis of Vedic mantras could lead to any scientific discovery. Because Vedas themselves suggest that without experiments and research in real-world, truth cannot be discovered (Refer Atharvaveda 12.5.1, Yajurveda 1.5 and 19.30). But we do want to imply that Vedas form a wonderful guru who would always stand besides you as a reliable guide. Nothing in Vedas would contradict your rational discoveries. And as you discover more and more, Vedas would make you realize how magnificent that Supreme Power is who is managing this entire universe through such perfect unchangeable laws! Thus Vedas strengthen you from core.
What we presented was just 2 mantras that we chanced to discover with whatever limited intellect we have. But that does seem to indicate that Vedas do merit a more detailed and institutionalized research. We do hope that such researches become reality of tomorrow so that humanity could rise above schism between science and religion, and fights among various blind cults for claiming the title of only true religion. Vedas are the most credible and viable hope for a religion that is in sync with science and excludes any notion of blind belief. This would be the next level of evolution of human civilization.
May we all embrace wisdom and destroy roots of all blindness! May we all evolve!

http://manisharya007.blogspot.in/2016/01/islamic-website.html

ISLAMIC WEBSITE की समीक्षा,वैदिक धर्म पर




ये ब्लॉग IRF (islamic research foundation) WEBSITE को expose करने के लिए बनाई जा रही है ।
http://www.irf.net/Hinduism.html
इस link में हर claim झूठा है , स्वाभाविक है , की अगर इस्लाम का प्रचार करना हो तो सनातन वैदिक धर्म को निचे करना ही पड़ेगा , चाहे कितना भी झूठ बोलना पड़े ।




1 . ////zakir naik claim:- 

 VEDAS:
1. The word Veda is derived from vid which means to know, knowledge par excellence or sacred wisdom. There are four principal divisions of the Vedas (although according to their number, they amount to 1131 out of which about a dozen are available). According to Maha Bhashya of Patanjali, there are 21 branches of Rigveda, 9 types of Atharvaveda, 101 branches of Yajurveda and 1000 of Samveda)./////

Analysis (our response):-


यहाँ ज़ाकिर नाइक जी को वेद और वेद की शाखाऍ समझ नहीं आई ,
वेद चार ही है (ऋग्वेद ,यजुर्वेद,अथर्वेद,सामवेद) ..... जिसे "word of GOD" कहते है , फिर इतनी शाखाऍ क्या है ? 


प्रश्न. वेदों की शाखाएं क्या हैं? वेदों की 1131 शाखाएं बतलाई जाती हैं, जो बहुत सी लुप्त हो गई हैं, तब यह कैसे माना जाए कि वेद मूल स्वरुप में ही हैं?

उत्तर. वेदों की शाखाओं का तात्पर्य मूल वेद संहिताओं से नहीं है. वेदों को समझने, उनके अध्ययन आदि तथा वेदों की व्याख्या करने के लिए शाखाएं बनाई गई हैं. समय – समय पर प्रचलित प्रणालियों के अनुसार मन्त्रों के अर्थ सरल करने के लिये शाखाएं मूल मन्त्रों में परिवर्तन करती रहती हैं. किसी यज्ञ विशेष के लिए या अन्य किन्ही कारणों से कई शाखाएं मूल मंत्रों के क्रम को आगे- पीछे भी करती हैं. इसी तरह कुछ शाखाओं में मंत्र तथा ब्राह्मण ग्रंथों का भाग मिला दिया गया है.

मूल चारों वेद संहिताएँ  – अपौरुषेय हैं. वेदों की शाखाएं तथा ब्राह्मण ग्रंथ मनुष्य कृत हैं. उन्हें वहीं तक विश्वासयोग्य माना जा सकता है जहां तक वे वेदों के अनुकूल हैं. मूल मंत्र संहिताओं का परम्परा से जतन किया गया है और विद्वानों ने भी भाष्य उन पर ही किया है.


 तो ज़ाकिर भाई की प्रश्नो और उसके समझ को आपलोग जान ही गए होंगे :))

2. //////now next zakir naik claim:-
2. The Rigveda, the Yajurveda and the Samveda are considered to be more ancient books and are known as Trai Viddya or the ‘Triple Sciences’. The Rigveda is the oldest and has been compiled in three long and different periods of time. The 4th Veda is the Atharvaveda, which is of a later date./////Analysis (our response):-

ये ज़ाकिर नाइक का दिमाग है "त्रयविद्या" अर्थात तीन ही किताब और इससे मतलब निकाल लिया की अथर्वेद बाद में आया ? आईये त्रयविद्या वेद को क्यों कहा गया , जब की वेद तो चार है ?

प्रश्न:- क्या वेद तीन हैं और क्या अथर्ववेद बाद में सम्मिलित किया गया था?

संस्कृत वांग्मय में कई स्थानों पर ऐसा प्रतीत होता हैं की क्या वेद तीन हैं? क्यूंकि वेदों को त्रयी विद्या के नाम से पुकारा गया हैं और त्रयी विद्या में ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद इन तीन का ग्रहण किया गया हैं.
उदहारण में शतपथ ब्राह्मण ६.१.१.८, शतपथ ब्राह्मण १०.४.२.२२, छान्दोग्य उपनिषद् ३.४.२, विष्णु पुराण ३.१६.१
परन्तु यहाँ चार वेदों को त्रयी कहने का रहस्य क्या हैं?
इस प्रश्न का उत्तर चारों वेदों की रचना तीन प्रकार की हैं. वेद के कुछ मंत्र ऋक प्रकार से हैं, कुछ मंत्र साम प्रकार से हैं और कुछ मंत्र यजु: प्रकार से हैं. ऋचाओं के सम्बन्ध में ऋषि जैमिनी लिखते हैं पादबद्ध वेद मन्त्रों को ऋक या ऋचा कहते हैं (२.१.३५), गान अथवा संगीत की रीती के रूप में गाने वाले मन्त्रों को साम कहा जाता हैं (२.१.३६), और शेष को यजु; कहा जाता हैं. (२.१.३७)
ऋग्वेद प्राय: पद्यात्मक हैं, सामवेद गान रूप हैं और यजुर्वेद मुख्यत: गद्य रूप हैं और इन तीनों प्रकार के मंत्र अथर्ववेद में मिलते हैं. इस प्रकार के रचना की दृष्टि से वेदों को त्रयी विद्या कहाँ गया हैं.
इसका प्रमाण भी स्वयं आर्ष ग्रन्थ इस प्रकार से देते हैं
ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद ये चारों वेद श्वास- प्रश्वास की भांति सहज भाव से परमात्मा ने प्रकट कर दिए थे- शतपथ ब्राह्मण १४.५.४.१०, छान्दोग्य उपनिषद् ७.१.२ और छान्दोग्य उपनिषद् ७.७.१
इसी प्रकार बृहदअरण्यक उपनिषद् (४.१२), तैत्रय उपनिषद् (२.३), मुंडक उपनिषद (१.१.५), गोपथ ब्राह्मण (२.१६), आदि में भी वेदों को चार कहाँ गया हैं.

अब वेदो से प्रमाण:-(१)सबके पूज्य,सृष्टीकाल में सब कुछ देने वाले और प्रलयकाल में सब कुछ नष्ट कर देने वाले उस परमात्मा से ऋग्वेद उत्पन्न हुआ, सामवेद उत्पन्न हुआ, उसी से अथर्ववेद उत्पन्न हुआ और उसी से यजुर्वेद उत्पन्न हुआ हैं- ऋग्वेद १०.९०.९, यजुर्वेद ३१.७, अथर्ववेद १९.६.१३(२).ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद स्कंभ अर्थात सर्वाधार परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं- अथर्ववेद १०.७.२०


3. /// now next zakir naik claim:-
3. There is no unanimous opinion regarding the date of compilation or revelation of the four Vedas. According to Swami Dayanand, founder of the Arya Samaj, the Vedas were revealed 1310 million years ago. According to other scholars, they are not more than 4000 years old. ////


Analysis (our response):-

सबसे पहली बात , किसी के कुछ सिर्फ कह देने से , बाते मान्य नहीं होगी , इसको सत्य की कसौटी पर परखना होगा ।
वेद का काल क्या है ?

वेद के अनुसार वेद का काल आदि सृष्टि का ही है(जैसा ऋषि दयानंद जी ने calculate करके बताये )  , वेद का सही अर्थ है "ज्ञान" (ऊपर ज़ाकिर नाइक भी explain किया है ,इस बात को )... और वेद का प्रकाश ईश्वर ने आदि सृष्टि में ही चार ऋषियों के आत्मा में किया , संस्कृत देववाणी भाषा में । 

लोग यहाँ पे कंफ्यूज रहते है की ये भाषा और लीपी क्या है ? आप सुन रहे है , बोल रहे है , समझ रहे है ,उसे भाषा कहते है , चाहे वो कोई भी भाषा हो , लेकिन आप उस चीज़ को कही लिखना चाहते हो ?
तो आपको लिपि की जरुरत पड़ेगी (जैसे आज देवनागरी लिपि में संस्कृत भाषा है), ये जरूरी नहीं की आज आप जिस लिपि में संस्कृत देख रहे है , उसी लिपि में लाखो साल पहले भी संस्कृत हो , हो सकता है लाखो साल पहले "ब्राह्मी लिपि" में भी संस्कृत लिखा गया हो , लिपि से तात्पर्य है लिखने का तरीका/Design .

या ऐसा भी बहुत जगह अंकित है , की ये संस्कृत भाषा में जो भी वेद मन्त्र है , वो दूसरे ऋषियों से याद रखवाई जाती थी , थोड़ा थोड़ा सभी ऋषियों को बाँट दी जाती थी , और ऐसे ही वेदो की रक्षा की गयी । वेदो में परिवर्तन न ही हो सकती , न ही किया जा सकता , हमारे ऋषियों ने अनेक फार्मूला निकाल रखा था , वेदो को बचाने के लिए । 

वेदों में परिवर्तन क्यों नहीं हो सकता? ( यहाँ देख सकते है)

वेद का काल क्या है ?
वेदों के विषय में उनकी उत्पत्ति को लेकर विशेष रूप से विद्वानों में मतभेद हैं.कुछ मतभेद पाश्चात्य विद्वानों में हैं कुछ मतभेद भारतीय विद्वानों में हैं जैसे:-
1. वेदों की उत्पत्ति कब हुई ?

स्वामी दयानंद जी ने अपने ग्रंथों में ईश्वर द्वारा वेदों की उत्पत्ति का विस्तार से वर्णन किया हैं. ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद के पुरुष सूक्त (ऋक 10.90, यजु 31 , अथर्व 19.6) में सृष्टी उत्पत्ति का वर्णन हैं. परम पुरुष परमात्मा ने भूमि उत्पन्न की, चंद्रमा और सूर्य उत्पन्न किये, भूमि पर भांति भांति के अन्न उत्पन्न किये,पशु आदि उत्पन्न किये. उन्ही अनंत शक्तिशाली परम पुरुष ने मनुष्यों को उत्पन्न किया और उनके कल्याण के लिए वेदों का उपदेश दिया. इस प्रकार सृष्टि के आरंभ में मनुष्य की उत्पत्ति के साथ ही परमात्मा ने उसे वेदों का ज्ञान दे दिया. इसलिए वेदों की उत्पत्ति का काल मनुष्य जाति की उत्पत्ति के साथ ही हैं.
स्वामी दयानंद की इस मान्यता का समर्थन आपको ऋषि मनु और ऋषि वेदव्यास की ग्रन्थ से भी मिलेगा ।

परमात्मा ने सृष्टी के आरंभ में वेदों के शब्दों से ही सब वस्तुयों और प्राणियों के नाम और कर्म तथा लौकिक व्यवस्थायों की रचना की हैं. (मनु 1.21)
स्वयंभू परमात्मा ने सृष्टी के आरंभ में वेद रूप नित्य दिव्य वाणी का प्रकाश किया जिससे मनुष्यों के सब व्यवहार सिद्ध होते हैं (वेद व्यास,महाभारत शांति पर्व 232/24)
स्वामी दयानंद ने वेद उत्पत्ति विषय में सृष्टी की रचना काल को मन्वंतर,चतुर्युगियों व वर्षों के आधार पर संवत 1933 में 1960852977 वर्ष लिखा हैं अर्थात आज संवत 2072 में इस सृष्टी को 1960853116 वर्ष हो चुके हैं.

पाश्चात्य विद्वानों में वेद की रचना के काल को लेकर आपस में भी अनेक मतभेद हैं जैसे
मेक्स मूलर – 1200 से 1500 वर्ष ईसा पूर्व तक
मेकडोनेल- 1200 से 2000 वर्ष ईसा पूर्व तक
कीथ- 1200 वर्ष ईसा पूर्व तक
बुह्लर- 1500 वर्ष ईसा पूर्व
हौग – 2000 वर्ष ईसा पूर्व तक
विल्सन- 2000 वर्ष ईसा पूर्व तक
ग्रिफ्फिथ- 2000 वर्ष ईसा पूर्व तक
जैकोबी- 3000 वर्ष 4000 वर्ष ईसा पूर्व तक
इसका मुख्य कारण उनके काल निर्धारित करने की कसौटी हैं जिसमें यह विद्वान वेद की कुछ अंतसाक्षियों का सहारा लेते हैं. जैसे एक वेद मंत्र में भरता: शब्द आया हैं इसे महाराज भारत जो कुरुवंश के थे का नाम समझ कर इन मन्त्रों का काल राजा भरत के काल के समय का समझ लिया गया. इसी प्रकार परीक्षित: शब्द से महाभारत के राजा परीक्षित के काल का निर्णय कर लिया गया.
अगर यहीं वेद के काल निर्णय की कसौटी हैं तो कुरान में ईश्वर के लिए अकबर अर्थात महान शब्द आया हैं. इसका मतलब कुरान की उस आयत की रचना मुग़ल सम्राट अकबर के काल की समझी जानी चाहिए.
इससे यह सिद्ध होता हैं की वेद के काल निर्णय की यह कसौटी गलत हैं.

अंतत मेक्स मूलर ने भी हमारे वेदों की नित्यत्व के विचार की पुष्टि कर ही दी जब उन्होंने यह कहाँ की “हम वेद के काल की कोई अंतिम सीमा निर्धारित कर सकने की आशा नहीं कर सकते.कोई भी शक्ति यह स्थिर नहीं कर सकती की वैदिक सूक्त ईसा से 1000 वर्ष पूर्व, या 1500 वर्ष या 2000 वर्ष पूर्व अथवा 3000 वर्ष पूर्व बनाये गए थे. 
सन्दर्भ- Maxmuller in Physical Religion (Grifford Lectures) page 18 “

वेद का यह जो कल स्वामी दयानंद बताते हैं, वह इस कल्प की दृष्टी से हैं. यूँ तू हर कल्प के आरंभ में परमात्मा वेद का ज्ञान मनुष्यों को दिया करते हैं. भुत काल के कल्पों की भांति भविष्य के कल्पों में भी परमात्मा वेद का उपदेश देते रहेगें. परमात्मा में उनका यह देवज्ञान सदा विद्यमान रहता हैं. परमात्मा नित्य हैं इसलिए वेद भी नित्य हैं. इस दृष्टि से वेद का कोई काल नहीं हैं.


4. /// now next zakir naik claim:-
4. Similarly, there are differing opinions regarding the places where these books were compiled and the Rishis to whom these Scriptures were given. Inspite of these differences, the Vedas are considered to be the most authentic of the Hindu Scriptures and the real foundations of the Hindu Dharm////

Analysis (our response):-

मुझे प्रॉब्लम इस बात से है की , यहाँ ज़ाकिर नाइक क़ुरान को अल्लाह की किताब बतलाता है , लेकिन वेद को ऋषि की लिखी बतलाता है? means man-made?

वेदों के ईश्वरीय ज्ञान होने की वेद स्वयं ही अंत साक्षी जैसे-
१. सबके पूज्य,सृष्टीकाल में सब कुछ देने वाले और प्रलयकाल में सब कुछ नष्ट कर देने वाले उस परमात्मा से ऋग्वेद उत्पन्न हुआ, सामवेद उत्पन्न हुआ, उसी से अथर्ववेद उत्पन्न हुआ और उसी से यजुर्वेद उत्पन्न हुआ हैं- ऋग्वेद १०.९०.९, यजुर्वेद ३१.७, अथर्ववेद १९.६.१३

२. सृष्टी के आरंभ में वेदवाणी के पति परमात्मा ने पवित्र ऋषियों की आत्मा में अपनी प्रेरणा से विभिन्न पदार्थों का नाम बताने वाली वेदवाणी को प्रकाशित किया- ऋग्वेद १०.७१.१

३. वेदवाणी का पद और अर्थ के सम्बन्ध से प्राप्त होने वाला ज्ञान यज्ञ अर्थात सबके पूजनीय परमात्मा द्वारा प्राप्त होता हैं- ऋग्वेद १०.७१.३
४. मैंने (ईश्वर) ने इस कल्याणकारी  वेदवाणी को सब लोगों के कल्याण के लिए दिया हैं- यजुर्वेद २६.२

५. ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद स्कंभ अर्थात सर्वाधार परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं- अथर्ववेद १०.७.२०

६. यथार्थ ज्ञान बताने वाली वेदवाणियों को अपूर्व गुणों वाले स्कंभ नामक परमात्मा ने ही अपनी प्रेरणा से दिया हैं- अथर्ववेद १०.८.३३

७. हे मनुष्यों! तुम्हे सब प्रकार के वर देने वाली यह वेदरूपी माता मैंने प्रस्तुत कर दी हैं- अथर्ववेद १९.७१.१

८. परमात्मा का नाम ही जातवेदा इसलिए हैं की उससे उसका वेदरूपी काव्य उत्पन्न हुआ हैं- अथर्ववेद- ५.११.२.

आइये ईश्वरीय के सत्य सन्देश वेद को जाने
वेद के पवित्र संदेशों को अपने जीवन में ग्रहण कर अपने जीवन का उद्धार करे.

Admin - Manish Kumar (Arya)

zakir-naiks-quran-says-2+2=5 (ये भी देखे)

Sunday, 10 January 2016

Zakir Naik's Quran also Says 2+2=5 ?



www.youtube.com/zakir 2+2=5? (video यहाँ देखे)

ज़ाकिर नाइक का logic :- बाइबिल बताती है की Moon का खुद का light होती है , जो की विज्ञान के तहत गलत हैं , इसीलिए "Bible is not a word of GOD" ??

बिलकुल सहमत हूँ , पर फिर आगे कहता है की क़ुरान कहता है की Moon से Light नहीं निकलती बल्कि Reflection of Light निकलती , जो की science भी कहता है । इसीलिए बाकी सब 2 + 2 = 5 पढ़ाता है ,
और सिर्फ क़ुरान ही 2+2=4 पढ़ाता है ।

1st BIBLE ANALYSIS:-

Genesis 1:16:-And God made two great lights; the greater light to rule the day, and the lesser light to rule the night: he made the stars also.
उत्पत्ति 1:16:-तब परमेश्वर ने दो बड़ी ज्योतियां बनाईं; उन में से बड़ी ज्योति को दिन पर प्रभुता करने के लिये, और छोटी ज्योति को रात पर प्रभुता करने के लिये बनाया: और तारागण को भी बनाया।

ZAKIR NAIKने बाइबिल पर बिलकुल सही बोला , ये बाइबिल मूर्खो की ही रचना है । पर क्या क़ुरान वर्ड ऑफ़ गॉड है ?

जी जवाब होगा की , क़ुरान भी मूर्खो की GANG की ही रचना है :- क़ुरान भी वही बायत कहता है , की mOON का अपना खुद का lIGHT है , लेकिन ज़ाकिर नाइक अपना अरबी व्याकरण की रचना किया है , जिसमे नूर का मतलब REFLECTION OF LIGHT लिया है ।

अब DNA TEST करके देख लेते है , हम अरबी व्याकरण भी छोड़ देते है , क्योकि अगर अरबी व्याकरण लगाएंगे तो ज़ाकिर नाइक भागने लगेगा । हम दोनों देखेंगे की क़ुरान क्या MEANING देता है और अरबी व्याकरण क्या , कही से भी थोड़ी सी भी सबूत मिला की क़ुरान में  MOON से REFLECTION OF LIGHT की ही शिक्षा है , तो ज़ाकिर नाइक के बातो को मान लिया जाएगा ।


now, quran  ANALYSIS:


Moon Emits Light ?
चन्द्रमा से प्रकाश का उत्सर्जन ?

चन्द्रमा के पास खुद का रोशनी नहीं है , वो तो सिर्फ सूर्य का  रोशनी  "चन्द्रमा" से "reflect" होक धरती तक पहुँचती है ।"reflected" का अरबी word होता है "(in`ikaas)" ?? जो की दिए गए क़ुरनिक आयत में नहीं है ।
[[देखे क़ुरआन 71:16]]  ……… 

وَجَعَلَ الْقَمَرَ فِيهِنَّ نُورًا وَجَعَلَ الشَّمْسَ سِرَاجًا
Wa ja'alal qamara feehinna nooranw wa ja'alash shamsa siraajaa
And hath made the moon a light therein, and made the sun a lamp?
 "और उनमें चन्द्रमा को प्रकाश और सूर्य को प्रदीप बनाया ?

{.....feehinna nooranw.....} ?? ऊपर गौर से देखिये , चन्द्रमा के लिए "(in`ikaas)" शब्द नहीं आया है । 
बल्कि "noor" आया है । "Noor" उसके लिए denote किया जाता है , जो entinity खुद light emit करता है । 

अर्थात जो स्वयं प्रकाश देता है । example - stAR , sUN , a/q to qu'ran Allah ?

The word "Noor" is also used in this verse to show that Allah is the "light" of the universe.

Clearly the author is not implying that Allah reflects light from another source but is the source

of the light. 

ये " नूर " शब्द अल्लाह के लिए भी आया है , क़ुरआन 24:35 में , जो बता रहा की---- " अल्लाह आकाशों और धरती का प्रकाश है।  उसके प्रकाश की मिसाल ऐसी है जैसे एक ताक़ है, जिसमें एक चिराग़ है - वह चिराग़ एक फ़ानूस में है। वह फ़ानूस ऐसा है मानो चमकता हुआ कोई तारा है " ??

नोट -- क़ुरआन में ये कही भी नहीं लिखा हुआ है की "अल्लाह किसी अन्य स्रोत से प्रकाश को दर्शाता है ?? बल्कि ये लिखा जरूर है की अल्लाह स्रोत है प्रकाश की ??
[देखे क़ुरआन 24:35]
Allaahu noorus samaawaati wal ard; masalu noorihee kamishkaatin feehaa misbaah; almisbaahu fee zujaajatin azzujaajatu ka annahaa kawkabun durriyyuny yooqadu min shajaratim mubaarakatin zaitoonatil laa shariqiyyatinw wa laa gharbiyyatiny yakaadu zaituhaa yudeee'u wa law alm tamsashu naar; noorun 'alaa noor; yahdil laahu linoorihee mai yashaaa'; wa yadribul laahul amsaala linnaas; wallaahu bikulli shai'in Aleem

अन-नूर (An-Nur):35 - अल्लाह आकाशों और धरती का प्रकाश है।  उसके प्रकाश की मिसाल ऐसी है जैसे एक ताक़ है, जिसमें एक चिराग़ है - वह चिराग़ एक फ़ानूस में है। वह फ़ानूस ऐसा है मानो चमकता हुआ कोई तारा है। - वह चिराग़ ज़ैतून के एक बरकतवाले वृक्ष के तेल से जलाया जाता है, जो न पूर्वी है न पश्चिमी। उसका तेल आप है आप भड़का पड़ता है, यद्यपि आग उसे न भी छुए। प्रकाश पर प्रकाश! - अल्लाह जिसे चाहता है अपने प्रकाश के प्राप्त होने का मार्ग दिखा देता है। अल्लाह लोगों के लिए मिशालें प्रस्तुत करता है। अल्लाह तो हर चीज़ जानता है।

Note- मोहम्मद को लगता था की चाँद खुद प्रकाश देता है । स्वाभाविक है किसी को भी उस वक्त लगता ,  क्योकि ये सब जानकारी अरब के देशो तक ठीक से नहीं पहुँची थी । 

वेदो में सारे जानकारी कही न कही मिलते रहती है । चुकी वेदो में 20,000 से ज्यादा verse है , तो search करना इतना आसान नहीं फिर भी कोशीश जरूर करूंगा की अभी आपको कोई example वेदो से दिखा सकू सकू, बिलकुल मिलता जुलता । 

LIGHT OF MOON

Rig Veda 1.84.15“The moving moon always receives a ray of light from sun”

[[moov करता हुआ moon हमेशा सूर्य से रोशनी लेता है ]]

Rig Veda 10.85.9“Moon decided to marry. Day and Night attended its wedding. And sun gifted his daughter “Sun ray” to Moon.”

[[ यहाँ पे अलंकार है , शब्दों को सजाया गया है - " जो बता रहा है की सूर्य अपनी रोशनी चाँद को देता है ,चाँद के पास खुद की रोशनी नहीं है ]]

ECLIPSE

Rig Veda 5.40.5“O Sun! When you are blocked by the one whom you gifted your own light (moon), then earth gets scared by sudden darkness.”

[[ यहाँ भी शब्दों को सजाने के लिए अलंकार है । ये verse "ग्रहण " को दर्शा रहा है , यहाँ पे बताया जा रहा है  की जब चाँद "सूर्य और पृथ्वी " के बीचो बीच आ जाता है तो  पृथ्वी पर  sudden अँधेरा छा जाता है ]] जो की साफ़ -साफ़ indicate कर रहा है की चन्द्रमा का खुद का प्रकाश नहीं है । 


मैं ये ब्लॉग किसी भी सम्प्रदाय को दुःखी करने नहीं बना रहा बल्कि सत्य की और लाने का बस छोटा सा प्रयास 
है, सत्य को जाने, सत्य को पहचाने और सत्य की ओर लोट चले । 


सत्य सनातन वैदिक धर्म की ओर ... वेदो की ओर लोट चले। … आर्य बने और आर्य बनाये ।

कृण्वन्तो विश्वम् आर्यम (अथर्वेद) 


एकमात्र वेद ही है जो आदि सृष्टि में आके ज्ञान के प्रकाश के रूप में सम्पूर्ण मानव जाति की भलाई के लिए आया। हमें वेदो का सम्मान करना चाहिए , यह हमारे लिए परमात्मा का दिया हुआ "बहुमूल्य रत्न" से कम नहीं । 

All The Important Vedic Post In One BLOG :) (यहाँ देखे)

ADMIN- Manish Kumar (आर्य)

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Saturday, 9 January 2016

क़ुरान और ज़ाकिर नाइक(मुन्ना भाई वाला MBBS)




QURAN ka DNA Test PART-1 (यहाँ देखे)

मित्रो पिछले ब्लॉग में हमने जाना की क़ुरान एक ऐसी किताब है , जिसमे 50% से 100% तक छेरछार का सबूत मिला , अर्थात क़ुरान आज EXIST ही नहीं करता , क़ुरान की रक्षा नहीं हो पायी थी , ऊपर लिंक में सबूत दिए गए है ,वो भी प्रामाणिक हदीस और प्रामाणिक इस्लामिक WEBSITE से । 

अब आगे क़ुरान की DNA TEST-2 शुरू करेंगे ।
ईश्वरीय ज्ञान वाले पुस्तक की समीक्षा कैसे करे , जबकि दुनियाँ में 4100 से ज्यादा महजब है । 



अब चलिए क्यों कुरान बहुत सारे मूर्खो के ग्रुप की ही देन है (समीक्षा करेंगे)

point - zakir naik एक MBBS DOCTOR खुद कहता है ,  इसीलिए हम पहले BIOLOGY से ही शुरू करेंगे ।

QURAN says, Sperm Originates Between the Backbone and Ribs?Surah 86:7Arabic: يخرج من بين الصلب والترائبTransliteration: Yakhruju min bayni alssulbi waalttara-ibiLiteral:
It emerges/appears from between the spine and the rib bones.
Yusuf Ali: proceeding from between the backbone and the ribs.Pickthal: that issued from between the loins and ribs.Arberry: issuing between the loins and the breast-bones.Shakir: coming from between the back and the ribs.Sarwar: which comes out of the loins and ribs.Khalifa: from between the spine and the viscera.Hilali/Khan: proceeding from between the back-bone and the ribs.Malik: that is produced from between the loins and the ribs.Maulana Ali: coming from between the back and the ribs.


अत-तारिक (At-Tariq):6 - एक उछलते पानी से पैदा किया गया है,अत-तारिक (At-Tariq):7 - जो पीठ और पसलियों के मध्य से निकलता है ?

analysis:-

Today we know sperm comes from the testicles and semen from the pelvic regionwhich is not between the spine and ribs.

आज हम जानते है की शुक्राणु (sperm) अंडकोष (testicles) से आता है और वीर्य  (semen) श्रोणि क्षेत्र  (pelvic region) से आता है , जो की रीढ़ की हड्डी (spine) और पसलियों (ribs) के बीच नहीं है।



///////////
BUT , Zakir Naik says,
Man Created From A Drop Emitted From Between The Back Bone And The Ribs
“Now let man but think From what he is created! He is created from A drop emitted – Proceeding from between The back bone and the ribs.” [Al-Qur’aan 86:5-7]

In embryonic stages, the reproductive organs of the male and female, i.e. the testicles and the ovaries, begin their development near the kidney between the spinal column and the eleventh and twelfth ribs. Later they descend; the female gonads (ovaries) stop in the pelvis while the male gonads (testicles) continue their descent before birth to reach the scrotum through the inguinal canal. Even in the adult after the descent of the reproductive organ, these organs receive their nerve supply and blood supply from the Abdominal Aorta, which is in the area between the backbone (spinal column) and the ribs. Even the lymphatic drainage and the venous return goes to the same area. Testes and ovaries are derived from the mesodermal epithelium (mesothelium) lining the posterior abdominal wall, the underlying mesenchyme and the primordial germ cells.The primordial germ cells form in the wall of the yolk sac during week 4. They later migrate into the developing gonads at week 6 and differentiate into the definitive germ cells (oogonia / spermatogonia)
/////////

point 1:- (blue color line देखे)

क्योकि आगे BIOLOGY झारा है , पहली बात ये DEEPLY घूस के कुतर्क और ASSUMPTION करके अपना बात को सही साबित करना हुआ , यहाँ ये बात है की , मोहम्मद अरब की धरती पर बैठ के इतना बड़ा बकवास फेक दिया , की अल्लाह ने इंसान को 
 एक उछलते पानी से पैदा किया , जो पीठ और पसलियों के मध्य से निकलता है ?? 

ये अखंड BIOLOGY है , और इसी BIOLOGY को अपने कुतर्क से Embrayology के 
embryonic stages में जाके ,ज़ाकिर नाइक क़ुरान की ये आयते को सही प्रूफ करने की कोशिश में है ।

zakir naik ने इतना अच्छा ऊपर "english में 
Embrayology के embryonic stages को explain किया है की ,कोई भी इंसान ( जो MBBS नहीं किया हो) आराम से इसके बात में आ जायेगा , और मुर्ख लोग आता भी है , क्योकि किसको DEEPLY BIOLOGY का ज्ञान है ??

मैं हदीस से "मोहम्मद" का EMBRAYOLOGY ज्ञान आपको आगे  दिखाऊंगा , पढ़ने के बाद आपको बेहोसी आ जाएगा , और ऐसा सब गवाँर क़ुरान में DEEPLY घूस के अल्लाह का 
embryonic stages को explain करेगा ?? प्रामाणिक हदीसो में तो अल्लाह औरतो की योनि में फरिस्ता भेजता है , वो उसमे वीर्य टपका देता फिर मांस का लोथड़ा बना देता , उल्टा सीधा विज्ञान है , इस पर ओर कभी DISCUSS होगी।


क़ुरान और हदीस थोड़ी देर के लिए हठायिये ,  ZAKIR NAIK का कुतर्क को CHECK करने के लिए ,
अब हमलोग भी DETAIL में Embrayology में घुसने वाले है , अब हम भी थोड़ी देर के लिए मुन्ना भाई MBBS बनने जा रहे है।

क्योकि इन ७२ हूर धारी को कही से भी नहीं छोरना है , पाँव रखने का भी जगह नहीं देना है ।
 

ANALYSIS:- 
(blue color line देखे)

////// In embryonic stages, the reproductive organs of the male and female, i.e. the testicles and the ovaries, begin their development near the kidney between the spinal column and the eleventh and twelfth ribs (ZAKIR NAIK SAYS,) /////////

ZAKIR NAIK यहाँ कह रहा है की , MALE का REPRODUCTIVE ORGAN (
testicles ) और FEMALE का  REPRODUCTIVE ORGAN (ovaries) , स्पाइनल कॉलम (spinal column) और ग्यारहवीं व बारहवीं पसली (RIBS) के बीच (KIDNEY) गुर्दे के पास विकास के लिए शुरू होता है ।

अब इसको डिटेल में समझते है , मैं चाहू तो इंग्लिश भाषा में DIRECT EXPLAIN कर दू , पर मैं जो भी WORD उपयोग करूँगा , शायद आपने सुना भी न हो , कोशिश है की एक साधारण इंसान को भी ये ज़ाकिर नाइक का अधूरा  मुन्ना भाई वाला BIOLOGY समझ आ जाए ।
 


पहले जाने RIB क्या होता है , (फोटो देखे)



अब जाने spine क्या होता है ,(फोटो देखे)


तो इतना समझ गए होंगे , की क्यों ज़ाकिर नाइक  ग्यारहवीं व बारहवीं पसली ही बोला (RIBS), मतलब
था की बच्चे का जन्म होने के सारे प्रक्रिया निचे ही होती है , मतलब अगर क़ुरान में rib लिख दिया है तो उसमे भी सबसे निचे वाली rib को पकर के कुतर्क करो  , अगर ribs 13वीं या 14वीं  तक भी जाती तो ज़ाकिर नाइक सबसे निचे वाला ही बोलता ,पर अफ़सोस की आखरी 12वीं तक ही होती है , अब ये 12वीं ribs क्या है , और इसका location कहाँ है ??


12वीं ribs का location जानने के लिए निचे फोटो देखे (see 12th rib)





अब सारे जानकारी आपको  हो गया अब , NOW COME TO THE POINT ....

Note that , 
the inferior pole of the kidney lies around L3 means (the third lumbar vertebra)
अब ये 
the third lumbar vertebra क्या है ? जी फोटो निचे देखे ,
उसके निचे L4  है , और LAST वाला L5 है। और ठीक उसके ऊपर वाला L2 और उसके भी ऊपर L1 है
। 




इस प्रकार embryonic testes(भ्रूण वृषण)  L3 के नीचे होगा , (becoz, the inferior pole of the kidney lies around L3) आपने ऊपर फोटो देखा , उसके निचे ही embryonic testes( भ्रूण वृषण) होना है ।
पर यहाँ पे ज़ाकिर नाइक के लिए दुविधा वाली बात ये है की :-

The twelth rib does not extend below L2
अर्थात,आप खुद ये फोटो देख लीजिये :-

यहाँ पे 12th rib "L2" के भी ऊपर है , जबकि testes (वृषण) Kidney (गुर्दे) से नीचे हैं 
(दूसरी भाषा में   L3 के नीचे )  तो , कोई भी संभावना नहीं है कि testes (वृषण)  spinal column (पसलियों ) और  ribs (रीढ़ की हड्डी ) के बीच कभी थे either in the embryonic or the adult (as with cryptorchidism) stage. 

ज़ाकिर नाइक का ये पहला पॉइंट सून के कोई भी MBBS DOCTOR बेहोश हो सकता है । 

////// In embryonic stages, the reproductive organs of the male and female, i.e. the testicles and the ovaries, begin their development near the kidney between the spinal column and the eleventh and twelfth ribs (ZAKIR NAIK SAYS,) /////////

यहाँ तो पहली बात eleventh and twelfth ribs तो बहुत ऊपर रह गया , spinal column और eleventh and twelfth ribs के बीच कुछ आया ही नहीं , जिसकी ज़ाकिर नाइक बात कर रहा वो तो दोनों के बीच नहीं बल्कि बहुत निचे है , जैसा की मैंने आपको फोटो के साथ STEP BY STEP समझाया । 

अगर कल मैं आपसे कहूँ की माँ के पेट में आपका दिमाग "पेट और पीठ " के बीच में था , और बाद में ऊपर चला गया । यही बात हम अगर HIGH FIGH ENGLISH में कहे और उसके बाद दिमाग से RELATED सारी INFORMATION WIKIPEDIA से निकाल के झूठ का दिमाग को EXPLAIN करने लगे तो क्या आप मेरा ये बात मान लोगे की "आपका दिमाग पहले पेट और पीठ के बीच में था" ??
अब फिर से क़ुरान की आयते देखिये ,

Man Created From A Drop Emitted From Between The Back Bone And The Ribs 
[Al-Qur’aan 86:5-7]

अब ज़ाकिर नाइक इसको जबरदस्ती ठीक करते हुए इसमें एम्ब्रयोलोग्य घुसेरने का कोशिश किया ,
लेकिन बच्चा शुरुआत में ही FAIL हो गया ।


“Now let man but think From what he is created! He is created from A drop emitted – Proceeding from between The back bone and the ribs.” [ज़ाकिर नाइक Al-Qur’aan 86:5-7]

अब एक और पॉइंट ज़ाकिर नाइक को कहना चाहूंगा की ,

The original position of the cells destined to develop into spermatogonia (sperm producing cells) is not ventro-medial to the kidneys (where they undoubtedly develop) but in the wall of the yolk sac. (निचे फोटो देख ले)

NOTE:- ज़ाकिर नाइक का  "embryonic testes" FAIL हो चूका है पूरी तरह से ऊपर,  फिर भी हम ज़ाकिर नाइक का ये बेवकूफी वाली बात मानने के लिए READY है , कोई डॉक्टर को कहोगे मानने तो वो पिट सकता है , इसीलिए मैं ही मान रहा सिर्फ :-) THEN ,

Even if Naik’s assertion that the verse refers to the embryonic testes is accepted, it is unclear whether the gonads are located where he claims, i.e. between the spinal column and the eleventh and twelfth ribs.This cross-sectional diagram of the human embryo shows the gonads at or around the level of the placenta:

फोटो में देखे:-

Gondev154.gif


#धन्यवाद 

तो ये जान ले अधर्मियों की कोई भी चाल किसी भी SUBJECT में नहीं चल सकती , चाहे वो कितना भी उस SUBJECT में MBBS करले । 

ADMIN- MANISH KUMAR (ARYA)
वेदो की ओर लोटो